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२२. गाथा
सोच्चा जाणइ कल्लाणं
सोच्चा जाणइ. पावगं । उभयं पि जाणइ सोच्चा
जं सेयं तं समायरे ॥
दश० अ० ४ गा० ११
___ अर्थ
मनुष्य श्रवण करने से ही कल्याण के मार्ग को जानता है और श्रवण के द्वारा ही उसे पाप का जान होता है। दोनों मार्गों को जान कर, जो आत्मा के लिए शान्तिकर मार्ग हो उसे ग्रहण करना चाहिये।