________________
२६. गाथा
एवं धम्मस्स विणओ
मूलं परमो से मोक्खो। जेण कित्ति सुयं सिग्छ
निस्सेसं चाभिगच्छइ॥
- . वश० अ० ९ उ० २ गा० २
अर्थ
इसी प्रकार धर्म रूपी वृक्ष का मूल विनय है और उसका अन्तिम परिणाम मोक्ष है। विनय से मनुष्य कीति, श्रुतज्ञान और प्रशंसा पूर्णरूपेण प्राप्त करता है।