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१. कषाय आत्मा के लोक में,
विप्लव मचाता है । सद्गुणों के शिखर से ___ नीचे गिराता है ॥
२. फ्रोध प्रेम के सूत्र को,
झटपट तोड़ देता है । विनय के फनक-घट को भी, .
यह अहं फोड़ देता है ।।
३. छल से मंत्री का भाव भी,
निष्प्राण होता है । लोभ से सर्व गुण गण फा,
ही बस अवसान होता है ।।
४. दमन करना चाहिये,
साधक फो इस कपाय का। * महावोर ने यह सुवचन,
प्रिय शिप्प गौतम से कहा ।।