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५. गाथा
धम्मो मंगलमुक्किठें
अहिंसासंजमो तवो ! देवावि तं नमसंति
जस्स धम्म सया मणो॥
दश० अ० १ गा० १
अर्थ
धर्म एक उत्कृष्ट मंगल है । वह अहिंसा, संयम और तप रूप है । जिस का मन सदा ऐसे धर्म में स्थित रहता है, उस धर्मात्मा पुरुष को देवता भी नमस्कार करते हैं।