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१. वैसे तो मानव-जगत में,
बहुत तरह का पाप है। पर समझ लो इतना जरा,
कि झूठ सव का बाप है ।।
२. झूठ और विश्वास का,
होता कभी भी मेल ना । साधु जनों ने झूठ की,
भर पेट की है भर्तना ॥
३. छोड़ दे हे धर्म राहो !
झूठ को तू सर्वदा । * महावीर ने यह सुवचन,
प्रिय शिष्य गौतम से कहा ।।