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१. उपयोग मय यह जीव है,
और जीदमय संसार है। इस ओर भी उस ओर भी,
सर जीव का विस्तार है ।
२. छोटे बड़े हर जीव को,
निज आत्मा सम मान लो। मन वचन और फर्म से,
न तुम किसी का प्राण लो ।।
३. भूलकर भी तुम कभी,
हिंसा फिसी को मत करो। न दूसरों को तुम कमी,
इसके लिए प्रेरित फरो॥
४ धर्म सूत्रों में सभी से,
___ यही सूत्र है बड़ा । * महावीर ने यह सुवचन,
प्रिय शिष्य गौतम से रहा ।।