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१. स्वर्ग के सुख-भोग प्राणी,
कर्म से पाता रहा । कर्म के बन्धन से ही, . यह नरक में जाता रहा ।।
२. आसुरो योनि का यह,
मेहमान भी बनता रहा । कर्म के उद्भव से यह,
इनसान भी बनता रहा ।
३. कृत कर्म के अनुसार ही,
यह रूप नाना बदलता। ★ महावीर ने यह सुवचन,
प्रिय शिष्य गौतम से कहा ।।