Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur
View full book text
________________
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव
आस्रव अभाव । 10. सूक्ष्य | 1[संज्वलन - 10 [9 योग (मनोयोंग 4 - सत्य, 47 [12 अविरति, साम्पराय | लोभ] असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक संयत
4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिक द्विक, अनुभय, काययोग 1 - | आहारकद्विक और कार्मण औदारिक), संज्वलन - लोभ] | काययोग,
4अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यान, 4 प्रत्याख्यान, संज्वलन - क्रोध, मान, माया,
9 नोकषाय] 11.
७ [9 योग (मनोयोग 4 - सत्य, | 48 [12 अविरति, उपशांत
असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक 4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिकद्विक, अनुभय, काययोग 1 - | आहारकद्विक और कर्मण औदारिक)]
काययोग,
16 कषाय 9 नोकषाय] 12.क्षीण
9 [9 योग (मनोयोग 4 - सत्य, | 48 [12 अविरति, मोह
असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक 4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिकद्विक, अनुभय, काययोग 1 - | आहारकद्विक और कार्मण औदारिक)]
काययोग,
16 कषाय, नोकषाय] 13. सयोग | 7 [सत्य, अनुभय |7योग 7 [सत्य, अनुभय मनोयोग, सत्य, 50 [12 अविरति, केवली मनोयोग, सत्य, अनुभयक्चनयोग, काययोग3-औदारिक, | 5 मिथ्यात्व, असत्य,
अनुभय वचनयोग, औदारिकमिश्र और कार्मण काययोग] | उभय मनोयोग, असत्य, काययोग 3
उभय वचनयोग, औदारिक,
वैक्रियिकद्विक, औदारिकमिश्रऔर
आहारकद्विककाययोग, 16 कार्मण काययोग
कषाय, नोकषाय]
14. अयोग केवली
57 [अयोग केवली गुणस्थान में सभी 57 आस्रवों का अभाव होता
[16]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98