Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 52
________________ गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव आस्रव अभाव 6.प्रात्त 14[1 स्वकीय योग, संज्वलन कषाय 4, | 29 [मिथ्यात्व 5, नोकषाय 12 अविरति, अनन्तानुबन्धीआदि 12] 7.अप्रमत 14[उपर्युक्त 29 [उपयुक्त संथम 18 अपूर्वकरण 6 [हास्यादि नोकषाय] 14[उपर्युक्त] 29 [उपयुक्त ३ अनिवृत्ति- 1[नपुंसक्वेद 1स्वकीय योग, संज्वलन4, 35 [उपर्युक्त 29+ स्त्रीवेद, पंवेद, नपुंसक्वेद हास्यादि नोकपाय भाग1 १ अनिवृत्ति- 1 [स्त्रीवेद 7 [उपर्युक्त 8-नपुंसकवेद] 36 [उपर्युक्त 35+ करण नपुंसकवेद] भाग2 १ अनिवृत्ति- वेद 6 [उपर्युक्त 7-स्त्रीवेद] 37 [उपर्युक्त 36+ स्त्रीवेद] करण भP3 करण 9 अनिवृत्ति- 1[ संज्वलन क्रोध] 5[उपर्युक्त6-पुद] | 38 [उपर्युक्त 37 + पुद] करण भाग4 39 [उपर्युक्त 38 +ोध] ७.अनिकृति- 1[संज्वलन मान] |4 [उपर्युक्त 5-क्रोध] करण भाग 9.अनिवृत्ति- 1[ संज्वलन माया] [उपर्युक्त 4-मान] | 40 [उपर्युत 39 + मान] करण भाग6 10.सूक्ष्य साम्पराय 1[संज्वलनलोभ] [उपर्युक्त3-माया] |41 [उपर्युक्त 40 +माया 11.उपशंतमह स्वकीय योग] | 42[उपर्युक्त 41+लोभी 12.क्षीणमह स्विकीय योग] स्वकीय योग] | 42[उपर्युक्त [43] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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