Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 89
________________ गुणस्थान 19. भाग 2 19. भाग 3 19. भाग 4 9. भाग 5 9. भाग 6 10. सूक्ष्य साम्पराय संयत 11. उपशांत मोह आसव व्युच्छित्ति 1 [गुणस्थानवत्] 1 [ गुणस्थानवत्] 1 [ गुणस्थानवत्] 1 [ गुणस्थानवत्] 1 [ गुणस्थानवत्] 1 [ गुणस्थानवत्] 0 12. क्षीण मोह 4 [गुणस्थानवत् 7 [ गुणस्थानवत्] 13. सयोग केवली Jain Education International आसव 15 [गुणस्थानवत्] 14 [गुणस्थानवत्] 13 [गुणस्थानवत्] 12 [ गुणस्थानक्त्] 11 [गुणस्थानवत् 10 [गुणस्थानवत्] 9 [गुणस्थानवत्] 9 [गुणस्थानवत् 7 [गुणस्थानवत्] For Private & Personal Use Only आस्रव अभाव 33 [ उपर्युक्त 32 + नपुंसक वेद] 34 [उपर्युक्त 33 + स्त्रीवेद] 35 [ उपर्युक्त 34 + पुंवेद] 36 [ उपर्युक्त 35 + संज्वलन क्रोध ] 37 [ उपर्युक्त 36 + संज्वलन मान] 38 [ उपर्युक्त 37 + संज्वलन माया ] 39 [ उपर्युक्त 38 + संज्वलन लोभ ] 39 [उपर्युक्त ] 41 [अविरत 12, अप्रत्याख्यानादि 12 कषाय, नोकषाय 9, आहारकद्विक वैक्रियिकद्विक, असत्य, उभय मनोयोग, असत्य उभयवचनयोग] [80] www.jainelibrary.org


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