Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 90
________________ गुणस्थान 14. अयोग केवली आस्रव व्युच्छित्ति गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति 1. मिथ्यात्व 0 Jain Education International आस्रव संदृष्टि नं. 55 मिथ्यात्व आस्रव 55 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, मिथ्यात्व में 57 आम्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं योग 13 ( मनोयोग 4 वचनयोग 4, काययोग 5 औदारिक, औदारिकमिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग), कषाय 16, नोकषाय 9 । गुणस्थान एक मात्र मिथ्यात्व होता है । गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति 2. सासादन 0 0 आसव 55 [उपर्युक्त ] संदृष्टि नं. 56 सासादन आस्रव 50 - आस्रव सासादन में 50 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं 12 अविरति, योग 13 ( मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5 - औदारिक, औदारिकमिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मणकाययोग), कषाय 16, नोकषाय 9 । गुणस्थान एक मात्र सासादन होता है । 50 [12 अविरति, योग 13 ( मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5 - औदारिक, आसव अभाव 48] [उपर्युक्त 41 +7 (सत्य, अनुभय मनोयोग, सत्य, औदारिकमिश्र, वैकियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मणकाययोग), 16, नोवा 9] अनुभवचनयोग, औदारिकद्विक और कार्मण काययोग] For Private & Personal Use Only आस्रव अभाव 0 आस्रव अभाव 0 [81] www.jainelibrary.org

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