Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 85
________________ संदृष्टि नं. 52 उपशमसम्यक्त्व आस्रव 45 उपशमसम्यक्त्व में 45 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 12 अविरति, योग 12 (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 4-औदारिक, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग), अप्रत्याख्यानादि कषाय 12, नोकषाय 9। गुणस्थान अविरत आदि आठ होते हैं। आस्रव अभाव गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति । आस्रव 4.अविस्त | 8 विसअविरति, 45[12अविरति,योग 12 (मनोयोग अप्रत्याख्यान 4, वैक्रियिक, |4,क्चनयोग4, काययोग 4वैक्रियिक मिश्रऔर कार्मण | औदारिक, वैक्रियिक, वैक्रियिक काययोग] मिश्रऔर कार्मण काययोग), अप्रत्याख्यानादिकषाय 12, नोक्षाय] 5.देशविरत | 15 गुणस्थानवत्] | 37[गुणस्थानक्त 8[सअविरति, अप्रत्याख्यान 4,वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग] 6.प्रमत्तसंयम | 22 [गुणस्थानक्त्24-2(आहारक, 23 [12 अक्रिति, आहारकमिश्र काययोग)] अप्रत्याख्यानादिक्षाय, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग] 7.अप्रमत्त संयम 22[गुणस्थानक्त्] |23 [उपयुक्त 8.अपूर्व | 6[गुणस्थान 22[गुणस्थानक्] 23 [उपर्युक्त करण 9.अनिवृत्ति- | 1[गुणस्थानवत करणभाग 16[गुणस्थानव 29 [उपर्युक्त 23+ हास्य आदि 6 नोकषाय [76] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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