Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 84
________________ आस्रव व्युच्छित्ति । आस्रव - आस्रव अभाव 22 35 गुणस्थान 7.अप्रमत्तविरत 8.अपूर्वकरण 9.अनिवृत्तकरण भाग 1 - 22 35 16 41 भाग2 15 42 भाग3 14 43 भाग4 13 44 भाग5 ___ 12 45 भाग6 46 1 1 11 10 10. सूक्ष्यसाम्परायसंयत । 47 11.उपशंतमोह 48 | 12.क्षीणमोह 49 48 13.सयोगकेचली 50 14.अयोगकेचली 57 •संदृष्टि नं. 51 अभव्यत्व आस्रव 55 अभव्य में 55 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 13 योग (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5 - औदारिकद्विक, वैक्रियिकद्विक, कार्मणकाययोग), कषाय 25 1 गुणस्थान एक मात्र ही मिथ्यात्व ही होता है। गुणस्थान | आस्रव व्युच्छित्ति आसव आस्रव अभाव 1.मिथ्यात्व 0 55 [उपयुक्त [75] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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