Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 53
________________ संदृष्टि नं. 22 सत्य अनुभय मन-वचन योग औदारिक काययोग आस्रव 43 इस सत्य अनुभय मन-वचन एवं औदारिक काययोग में 43 आस्रव होते हैं जो प्रकार हैं - मिथ्यात्व 5, अविरति 12, स्वकीय योग 1, कषाय 16, नोकषाय 9 । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि तेरह होते हैं । इसकी बारहवें गुणस्थान तक की व्यवस्था संदृष्टि नं. 21 के समान जानना चाहिये । ( दे. संदृष्टि नं. 21 ) आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव गुणस्थान 1 मिथ्यात्व 12 सासादन मिश्र 4 अविस्त 15 देशविस्त ६ प्रमत्तसंयम 7. अप्रमत्तसंयम 8 अपूर्वकरण २ अनिवृत्तिकरण भाग 1 भाग 2 9. 9. 9. 9. 9. भाग 3 भाग 4 भाग 5 भाग 6 10. सूक्ष्यसाम्पराय 11. उपशांतमोह 12 क्षीणमोह 13. संयोगकेवली Jain Education International 5 4 0 5 15 0 ० 6 1 1 1 1 1 1 1 0 0 1 [ स्वकीय योग] 43 38 34 34 29 14 14 14 8 7 6 5 4 3 2 1 1 [ स्वकीय योग ] 1 [ स्वकीय योग] For Private & Personal Use Only आस्रव अभाव 0 5 9 9 14 222 29 29 29 35 36 37 38 39 40 41 42 42 42 [उपर्युक्त ] [44] www.jainelibrary.org

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