Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur
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आम्रव
आम्रव अभाव
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति 9.अनिवृत्ति 1 [गुणस्थानवत् -करण
15 [गुणस्थानवत्
9[उपयुक्त8+ नपुंसकवेद]
भार
9.अनिवृत्ति
करणभाग3
| 1 [गुणस्थानक्त्]
14[गुणस्थानवत्]
10[उपर्युत + स्त्रीवेद
9.अनिवृत्ति
करणभाग
| 1 गुणस्थानक्त
13 [गुणस्थानवत]
11[उपर्युत 10+
-
9.अनिवृत्ति-
करण भाग
| 1 गुणस्थानक्त्] ।
12 [गुणस्थानवत]
12[उपर्युत्त 11+ संज्वलनक्रोध]
9.अनिवृत्ति
करणभाग:
1 गुणस्थान
11 गुणस्थान
13[उपर्युक्त 12+ संज्वलनमान]
संदृष्टि नं. 38
परिहारविशुद्धि संयम आस्रव 20 परिहारविशुद्धि संयम में 20 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं -योग 9 (मनोयोग 4, वचनयोग 4, औदारिककाययोग), संज्वलन क्रोध आदि 4 कषाय, हास्य आदि 6 नोकषाय, पुंवेद। गुणस्थान प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत ये दो होते हैं।
गुणस्थान | आम्रव व्युच्छित्ति
आस्रव
आस्रव अभाव
6.प्रमत्त विस्त
20 [मनोयोग4,क्कनयोग4, औदारिककाययोग, संज्वलनक्रोध आदि4 कषाय, हास्य आदि 6 नोकषाय, पुंवेद]
-
-
7. अपात्त विस्त
20[उपयुक्त
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