Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 75
________________ संदृष्टि नं.41 देशसंयम आस्रव 37 देशसंयम में 37 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - पृथ्विकाय आदि 11 अविरति, प्रत्याख्यानादि 8 कषाय, हास्यादि 9 नोकषाय, योग 9 (मनोयोग 4, वचनयोग 4, औदारिककाययोग)। गुणस्थान एक मात्र देशसंयम होता है। आस्रव अभाव गुणस्थान आम्रव व्युच्छित्ति आस्रव 5.देशविस्त |37 [पृथ्विकाय आदि 11 अविरति, प्रत्याख्यानादि 8 कषाय, हास्यादि 9 नोकषाय, मनोयोग 4, वचनयोग 4, औदारिककाययोग] संदृष्टि नं. 42 असंयम आस्रव 55 आस्रव असंयम में 55 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 13 योग (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5 - औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिक मिश्र और कार्मण), कषाय 16, नोकषाय 9 । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि 4 होते हैं। गुणस्थान आम्रव व्युच्छित्ति| आस्रव अभाव 1.मिथ्यात्व |5[5 मिथ्यात्व 55 [5 मिथ्यात्व, 12अविरति, 13 योग (मनोयोग 4, वचनयोग 4,काययोग 5औदारिकद्विक, वैक्रियिकद्विक और कार्मण काययोग), कषाय 16, नोकषाय]] 2. सासादन 4[अनंतानुबंधी |50[उपर्युक्त 55-5मिथ्यात्व] 5[5 मिथ्यात्व |4कषाय] 3.मिश्र 43[उपर्युक्त 50-7(4अनंतानुबंधी, 12 [5 मिथ्यात्व,4 औदारिकमिश्र,वैक्रियिकमिश्र और कार्मण अनंतानुबंधी, औदारिकमिश्र, काययोग)] वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग] [66] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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