Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur
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गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव । आस्रव अभाव . 8. अपूकरण | 6 [हास्य आदि6 19 [उपर्युक्त]
26 [उपर्युक्त नोक्षाय 9.अनिवृत्ति- 1 [नपुंसकवेद] . | 13 [उपर्युक्त 19 - हास्य आदि 32 [उपर्युत 26 + हारय करणभाग1 नोकषाय]
आदि6 नोकषाय] 9.अनिवृत्ति- 1 स्त्रिीवेद 12 [उपर्युक्त 13 - नपुंसकन्द 33 [उपर्युत 32+ करणभाग2
नपुंसकवेद] 9.अनिवृत्त- 1 [वेद | 11 [उपर्युक्त 12-स्त्रीवेद |34 [उपर्युक्त 33+स्त्रीवेद] करणभाग ७.अनिवृत्ति- 1 [संज्वलन क्रोध] 10 [उपयुत 11-फुद] | 35 [उपर्युक्त 34+ पुद] करणभाग नोट - इसी प्रकार चारों प्रकार के मान, माया, लोभ कषाय में संदृष्टि लगाना चाहिए। मात्र विशेषता यह है कि लोभ कषाय में मिथ्यात्व आदि 10 गुणस्थान होते हैं।
संदृष्टि नं. 32
कुमति कुश्रुतज्ञान आम्रव 55 कुमति कुश्रुतज्ञान में 55 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 13 योग (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5 - औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग), कषाय 16, नोकषाय 9। गुणस्थान मिथ्यात्व आदि 2 होते हैं। गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
आम्रव अभाव
आसव
1. मिथ्यात्व |5[5 मिथ्यात्व] .
55 [5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 13 योग (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5औदारिक, औदारिकमिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग), कषाय 16, नोक्षाय 9]
2.सासादन
50 [उपर्युक्त 55-5 मिथ्यात्व]
|5[5 मिथ्यात्व
4[अनंतानुबंधी 14कषाय]
[56]
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