Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 37
________________ - गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आसव आस्रव अभाव सअविरति काययोग 3-औदारिक, आहारक आहारकमिश्र औदारिकमिश्रऔर कार्मण), कषाय 21 | काययोग] (अप्रत्याख्यानादि 12 कपाय, नोकषाय 9 - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, फुद, नपुंसकवेद)] 5.देशविस्त 15 गुणस्थानवत] 37 गुणस्थानवत] 18[गुणस्थानक्त20वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] 6. प्रमत्त 2 [गुणस्थानवत्] 24 [गुणस्थानवत्] 31 [गुणस्थानवत् 33 - विस्त वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] 22 [गुणस्थानवत्] 7, अप्रमत्त 10 विरत 33 [गुणस्थानवत् 35 - वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] 8. अपूर्व- 6 [गुणस्थानवत्] / [गुणस्थानवत्] कण 33 [गुणस्थानवत् 35 - वैक्रियिक, वैविहियकमिश्र काययोग] ७.अनिवृत्ति-1 [गुणस्थानवत्] |16 [गुणस्थानवत्]. करण भाग 1 ७.अनिवृत्त- 1 गुस्थानवता |15 गुणस्थानवत] 39 [गुणस्थानवत् 41 - वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] करण 40[गणस्थानवत्42वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] भाग 2 - 9.अनिवृत्ति-1 [गुणस्थानवत] |14 [गुणस्थानवत्] करण भाग 3 41 [गुणस्थानवत् 43 - वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] 9.अनिवृत्ति-1 [गुणस्थानवत्] |13 [गुणस्थानवत] करण भाग 4 42 [गुणस्थानवत् 44 - वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र काययोग] [28] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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