Book Title: Asrava Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 24
________________ गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव आस्रव अभाव । 9.अनिवृत्ति- 1 [संज्वलन - | 13 [9 योग (मनोयोग 4 - सत्य, | 44 [12 अविरति, करण क्रोध] असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग 5 मिथ्यात्व, औदारिक भाग4 4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिकद्विक, अनुभय, काययोग 1- औदारिक),- आहारकद्विक, और कार्मण कषाय 4- संज्वलन -क्रोध,मान, | काययोग, माया, लोभ)] 4अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यान, 4 प्रत्याख्यान,6 नोकषाय, नपुंसकवेद, स्त्रीवेद, पुंवेद ७.अनिवृत्ति- 1[संज्वलन - [12 [9 योग (मनोयोग 4 - सत्य, 1 45 [12 अविरति, करण असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक भाग5 4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिकद्विक, अनुभय, काययोग 1- औदारिक), | आहारकद्विक और कार्मण |संज्वलन-मान, माया,लोभ] काययोग4अनन्तानुबन्धी,4 अप्रत्याख्यान, 4 प्रत्याख्यान, संज्वलन - क्रोध 6 नोकषाय, नपुंसकवेद, स्त्रीवेद, पुंवेद मान] 9.अनिवृत्ति-1 [संज्वलन - करण माया] भाग6 |11 [9 योग (मनोयोग 4 - सत्य, | 46 [12 अविरति, असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक 4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिकद्विक, अनुभय, काययोग 1- औदारिक), मक| आहारक द्विक और कार्मण संज्वलन- माया, लोभ)] | काययोग, 4अनन्तानुबन्धी, 4 अप्रत्याख्यान, 4 प्रत्याख्यान, संज्वलन - क्रोध, मान,नोकषाय, नपुंसकवेद, स्त्रीवेद, फुद [15] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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