Book Title: Arsh Vishva
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 90
________________ जो शिक्षा जीवन की वास्तविकताओं का स्वीकार करने की सामान्य कला भी नहीं सीखा पायी है, उस शिक्षाने अपना दायित्व कितना निभाया है ? हाथ में पैसों के आते ही पुत्र पिता का भयानक अपमान करने लगे और घर में पत्नी के आते ही माता को पीडा देने लगे, तो यह कलंक पत्र का ही है ? या उस के व्यक्तित्व का निर्माण करनेवाली शिक्षा का भी है? वृद्धाश्रमों में अश्रु बहातें हुए माता-पिताओं ने कभी कल्पना की थी कि पुत्र को लायक बनाने के लिये हम उसे जिस शिक्षातंत्र को समर्पित कर रहे है, वह उसे इतना लायक (?) बना देगा, कि फिर पुत्र हमें ही नालायक समजने लगेगा? जो शिक्षाने शरीर के अंगो को पहचानना सीखाया, रोग के हेतुओं का परिचय कराया एवं दवाईयों के विषय में जानकारी दी, चिकित्सा की शैली भी सीखायी। किन्तु यह नहीं सीखाया कि गरीब मरीजों को लूँटना नहीं चाहिये । यह नहीं सीखाया कि अमीर मरीजों के साथ छल नहीं करना चाहिये । यह नहीं सीखाया कि अनावश्यक ऑपरेशन करके किसी के जीवन के साथ खेल नहीं खेलना चाहिये । यह नहीं सिखाया कि फिजूल व हानिकारक दवाई देकर किसी के स्वास्थ्य को खिलौना नहीं बनाना चाहिये। यह नहीं सीखाया कि अपने पर विश्वास रखकर जो स्त्री-मरीज अपनी केबिन में आयी है, उसके साथ अनैतिक व्यवहार करके उसका विश्वासघात नहीं करना चाहिये, तो फिर उस शिक्षाने समाज का कल्याण किया है ? या समाज का द्रोह किया है ? बड़े से बड़ा डॉक्टर भी नीच से भी नीच चेष्टा न करे, उस के लिये ऑपरेशन थियेटर में केमरा रखने का सरकारने जो आदेश दिया है, वह गौरव की बात है ? या शर्म की बात है ? क्याँ यह आदेश डॉक्टर की अविश्वसनीयता को साबित नहीं करता ? और एक सुशिक्षित डॉक्टर की अविश्वसनीयता सारे शिक्षातंत्र को अविश्वसनीय साबित नहीं करती? भ्रष्ट अस्पतालों के आई.सी.सी.यु. में कई दिनो तक वेन्टिलेटर से साँस लेते मुर्दो के जैसी लाखों शिक्षितो की स्थिति है । जिनमें साँस तो है, किन्तु संवेदनशीलता नहीं है। वे गरीबों का खून चूस सकते है, ग्राहकों के एवं क्लायन्टों के साथ बिना किसी हिचकिचाहट छल कर सकते है...किसी की कब्र पर अपना महल बना सकते है...किसी के अश्रु में 'नमक' की तलाश कर सकते है....किसी की चिता पर अपनी रसोई पका सकते है और कहने में भी लज्जा आये, ऐसे अक्षम्य अपराध कर सकते है । दोष उनका नहीं है, उन्हें दी गयी शिक्षा का है। एक कोमल बालक को जिस

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