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जैसे मुझे पीडा पसंद नहीं है, उस तरह अन्य जीवों को भी पीडा पसंद नहीं है। जैसे मुझे मृत्यु का डर लगता है, उस तरह सर्व जीवों को भी मृत्यु का डर लगता है । ऐसा सोचकर सभी जीवों को अपने समान समजे । न किसी को मारे, न मरवावे ।
लंकावतार सूत्र में सभी जीवों को अपने बच्चों के समान प्यार करने का निर्देश है। और कहा गया है कि बुद्धिमान व्यक्ति को आपत्काल में भी मांस खाना उचित नहीं है। वही भोजन उचित है, जिसमें मांस व खून का अंश नहीं हो । गौतम बुद्धने स्पष्ट कहा है कि मांस म्लेच्छों का भोजन है । दुर्गन्धमय व अभक्ष्य है।
(९) यहदी धर्म - यह धर्म भी अहिंसा का पक्षधर है। इस धर्म में उन लोगों को हेय बताया गया है, जिनके हाथ खून से रंग हुए है। बाइबिल में स्पष्ट बताया गया है कि 'तुम मेरे लिए सदैव एक पवित्र आत्मा होओगे, बशर्ते तुम किसी का मांस न खाओ।' यह धर्म न्याय, दया और विनम्रता की शिक्षा देता है । जब कि मांसाहार इन तीनों का विरोधी है । इसी लिये बाइबिल में यहाँ तक कहा है कि -
Keep away from those who consume meat and intoxicants for they will be deprived of everything and will eventually become beggers.
__ शराब और मांस का सेवन करनेवालों की संगत कभी न करो, क्योंकि ऐसे लोग विपत्तियों के शिकार बनते है, वे याचक बन जाते है । जीसस ख्रिस्तने यह भी कहा है
कि
I say unto all who disire to be my disciples, keep your hand away form bloodshed & let no flesh meat enter your mouth, for God is just & bowntiful who ordaineth that man shall live by fruits, grains & seeds of the earth alone.
मेरे शिष्यों, तुम रक्त बहाना छोड दो, और अपने मुंह में मांस मत डालो । ईश्वर बड़ा दयालु है । उसकी आज्ञा है कि मनुष्य पृथ्वी से उत्पन्न होनेवाले, फल और अन्न से जीवन निर्वाह करे।
(१०) इस्लाम धर्म - इस धर्म में दया की बड़ी महिमा है। पैगम्बर मुहम्मद साहब पवित्र ग्रंथ हदीस में अपना कलमा फरमाते है -
इरहमु मनफिल अर्दे यरहम कुमुर्रहमानु दुनियांवालों पर तुम रहम करो क्योंकि खुदाने तुम पर बडी मेहरबानी की हैं ।
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