Book Title: Arsh Vishva
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 104
________________ कुरान शरीफ में सूरे बकर में हज के वर्णन में लिखा है- जानवरों को मारना और खेती को तबाह करना जमीन में खराबी फैलाना है और अल्ला खराबी को पसंद नहीं करता वैजातवल्ला साआ फिर अरदे लयुक सिद फीहा । व यह लिकल हरसा बन्नस्ल वल्लाहो ला युहिबुल फसादा ॥ यदि कोई इन्सान किसी बेगुनाह चिड़िया तक को भी मारता है, तो उसे खुदा को उसका जवाब देना होगा । हजरत मोहमम्द साहब 1 कुरान में यह भी कहा गया है, कि जो सब पर रहम करता हैं, वह रहीम हैं अतः सभी प्राणियों पर दया करो । खुदाताला जरराह ( एक छोटी चिटी या छोटी रेत का तिनका) जितना जुलम भी किसी के उपर चाहते नहीं (निसाआकी ४० वी आयात) । लंदन मस्जिद के इमाम अल हाफिज बशीर अहमद मसेरीने अपनी पुस्तक - 'इस्लामिक कंसर्न अबाउट एनीमल्स' में मजहब के हिसाब से पशुओं पर होनेवाले अत्याचारों पर दुःख प्रकट करते हुए पाक कुरान मजीद व हजरत मोहम्मद साहब के कथन का हवाला देते हुए किसी भी जीव जन्तु को कष्ट देने, उन्हें शारीरिक या मानसिक प्रतारणा देने, यहाँ तक कि पक्षियों को पिंजरों में कैद करने तक को भी गुनाह बताया है। उनका कथन है कि इस्लाम तो पेड़ो को काटने तक की भी इजाजत नहीं देता । इमाम साहब ने अपनी पुस्तक के पृष्ठ १८ पर हजरत मोहम्मद साहब का कथन इस प्रकार दोहराया है - 'यदि कोई इन्सान किसी बेगुनाह चिड़िया तक को भी मारता है, तो उसे खुदा को इसका जवाब देना होगा। और जो किसी परिन्दे पर दया कर उसकी जान बख्शता है, तो अल्लाह उस पर कयामत के दिन रहम करेगा । इमाम साहब स्वयं भी शाकाहारी है व सबको शाकाहार की सलाह देते है । (११) जैन धर्म - इस धर्म में समग्र विश्व में व्याप्त जीवों का छह प्रकारों में विभाजन किया गया है । जिस में मनुष्य से लेकर चिंटी व पृथ्वी - जल आदि तक के जीवों की रक्षा का सूक्ष्म उपदेश दिया गया है । अहिंसा इस धर्म का मुख्य सिद्धान्त है। किसी को ऐसे वचन कहना जिससे वह पीडित हो या किसी का बुरा सोचना, उसे भी इस धर्म में हिंसा बताया गया है । इस धर्म में जहां जानवरों को बांधना या अधिक भार लादना तक पाप माना जाता है, वहाँ मांसाहार का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता । योगशास्त्र में कहा है - १०४

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