Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ जान्युआरी - २०२० . अद्याऽङ्गणे सुरतरुः फलितो ममोच्चश्चिन्तामणिः करतले स्थिरतां ततान । अद्य स्फुटद्युतिरलभ्यत कामकुम्भो दृष्टोऽसि देव ! यदवद्यपरिक्षयेण ॥८॥ ऐश्वर्यमिन्दुनिकरैरुपबृंहणीयं योगश्च योगिभिरतिस्पृहणीयवा । एतद् द्वयं कथमहो ! घटनामियति स्वामिस्त्वयीति भृशमद्भुतमेदुराः स्मः ॥९॥ त्रैलोक्यलोचनचकोरकशीतभासे सङ्घाननाम्बुरुहभासनतिग्मभासे । आसेविताय सुरदानवमानवेन्द्रस्तुभ्यं नमः शमरसामृतभाजनाय ॥१०॥ इत्थं स्तुतः प्रणतसर्वसुपर्वनाथः प्रौढप्रसिद्धमहिमेह सपार्श्वनाथः । उद्बुद्धबोधतरुकारणबोधिबीजां सद्यो यशोविजयसम्पदमातनोतु ॥११॥ इति श्रीसुपार्श्वस्तवः सम्पूर्णः ॥ श्रीः ॥ .

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