Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 73
________________ ६६ अनुसन्धान-७९ विजयदेवसूरिरंगरत्नाकर (रंगराज ?) रास दूहा वीणा वेगि वजावती, गावती जिन-पद रंगि, कासमीरपुर-मंडणी, कुंकुम वरणइ अंगि १ दख्यण करि पुस्तक धरि, वेणा वामि हाथि, गजगति चालि चमकती, सखी तणइ सुभ साथि २ सा सरसति समरूं सदा, सपरभाति सुखकार, कवीजन कवीत जे उचरि, ते ताहरि आधारि ३ आदि सांति नेमि नमी, पार्श्व जिन वर्धमान, ईह प्रमुख जे जिनवरा, तेहनुं ध्याई ध्यान. - ४ श्रीहीरविजइसुरीसरू, तास पटोधर सार, दनि दनि दउलति दीपता, विजइसेन गणधार. जेहनी कीरति उजली, चंद्र कर्ण पाहि चंग, सुमति गुपति सुधी धरि, तप कीरीआसुं रंग ६ तास पटोधर गायसुं, विजइदेवसुरीराय, कनक कहि ते गायतां, नव नघि रधि घरि थाय.७ . ॥ राग-गुडी ॥ सकल देस सणगार, देस मनोहरू, इडरीउ अती दीपतु ए, तीहां वाडी वन अभीरांम, सहिकार सोहता, द्राख डाडिम मन मोहता ए. नारंगी नालीएरी, केलि कुंअली, फल दीसि अती फुटरा ए, रायण रूडां रूख, सोपारी सारी, विविध जाति वली वन घणा ए.

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