Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 77
________________ ७० अनुसन्धान-७९ ३ सुणी प्रीआनी वात, सार सुपन तणी, साह थरू मनि हरखीउ ए, चीति चीतमांहि ताम, नअणे नींद तजी, सपन-भाव सुभ परखीओ ए. ३१ कहि प्रीआनि वात, नीज बुधि करी, सुत हउसि सही ताहरि ए, सुणी वचन रसाल, भगति भामिनी, __ जिनगुण गाइ गिहगही ए. थउं प्रभात सुभ वात, भरतार कामिनी, करि वीचार वारू परि ए, तेडावउ पंडित जाण, विविध जोतीक तणा, . आज उलटि आपण घरि ए. तेडाव्या तेणि वारि, पंडित पारखी, बहु मानि बोलावीआ ए आसन बिसन दीध, श्रीफल फोफल, आगलि आणी मुकीआ ए. कहु सु कारय तुम्ह, ते अम्हनि कहउ, साह थरउ तव बोलीआ ए, सुखभरि सुती जाम, प्रीआ पावन, गज-सपन सुणि लहि ए. ॥ दूहा ॥ नीसुणी वात सु[ह]णा तणी, हरख्या भट्ट तेणि वार, नीज मनसुं नीश्चि करू, जे सपन सुखकार. ३६ पुस्तक जोइ बोलीआ, भट्ट भला मनरंगि, सुत हउसइ तुम्ह कुल-तलउ, लख्यण बतरीस अंगि. ३७ एह अरथ अम्ह उपजइ, सास्त्र तणि अनुसारि, साह थरा तुम्हे सांभलउ, आणी हरख अपार. ३८

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