Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 103
________________ ९६ अनुसन्धान-७९ विवादना बिन्दुओनी प्रस्तुति विद्वत्तापूर्ण थई छे. कृतिमांना थोडा शब्दो : 'गाढेरा' एटले 'मोटा' नहि, 'अतिशय', 'खूब' 'रोक': रोकडं, रोकड. 'असरालि' : 'सम्पूर्ण' नहि, भयङ्कर, उग्र, मोटुं. क. ९७-९८मां 'आणिउं' शब्द छे, ते खास अर्थमां छे, तेथी शब्दकोशमां लेवा जेवो छे. सामान्य अर्थ : आणेलु, लावेलुं. अहीं 'मूल ग्रन्थमां पाछळथी उमेरेलु', प्रक्षिप्त. श्री ज्ञानसागर एक रासकार कवि तरीके सुप्रसिद्ध छे. तेमनी एक अप्रगट कृति आ अंकमां सम्पूर्ण प्रगट थई छे. सम्पादिका साध्वीजीए काळजीपूर्वक वाचना तैयार करी छे. पांच प्रतोनो उपयोग करवामां आव्यो छे अने पाठान्तरो लेवामां आव्या छे. अ, ब, क, ड एम चार प्रतोनो परिचय प्रास्ताविकमां अपायो छे ज्यारे टिप्पणोमां 'उ' संज्ञक प्रतिनो उल्लेख छे. लागे छे के 'ड' प्रति ज हशे पण 'ड' 'उ' तरीके वंचायो छे, तेथी मुद्रणदोष ऊभो थयो छे. Press copy मुद्रणार्थ प्रति तैयार करती वखते आ बिन्दु ख्यालमां राखवा जेवो छे के प्रेसवाळाने समजाशे के नहि. हस्ताक्षरो सुन्दर न होय ते चाले, पण अक्षरो ओळखवामां सामावाळाने मुंझवण न थवी जोईए. ढा. २, क. ९ मां भगति' छे, टिप्पणमां ड प्रतिनो पाठान्तर 'भगनि' नोंधायो छे, जे वस्तुतः साचो पाठ छे. आ रीते, आधारभूत प्रतिमां खोटो पाठ होय अने अन्य प्रतिमां साचो पाठ मळतो होय त्यारे शुं करवू – ए बाबतमां बे मत छ : आधारभूत प्रतिनो पाठ वाचनामां जेमनो तेम रहेवा दइ, साचो पाठ पाठान्तर तरीके नोंधी लेवो. (आ रीतमां साचो पाठ पाठान्तर बने छे, ए वात खटके छे.) बीजी रीतः साचो पाठ वाचनामां लई तेनुं स्थान पादनोंधमां दर्शावq अने आधारभूत प्रतिनो पाठ पण त्यां नोंधवो. (कृति शुद्ध बने, मूल कर्ता सुधी पहोंचाय, वाचकने पाठनिर्णय करवानो वारो न आवे - ए आ रीतना फायदा छे.) प्रस्तुत रचनामां सम्पादिकाए त्रीजी रीत शोधी काढी छेअन्य प्रतिमां मळतो साचो पाठ, मूळमां ज, यथास्थाने, कौंसमां आप्यो छे. (आ पद्धतिमां, कौंसमां दर्शावेलो पाठ क्यां मळ्यो छे तेनी माहिती नहि मळे, सम्पादके विचारेलो छे के अन्यत्रथी मळेलो छे - ते नहि समजाय - ए गेरफायदा छे.) मध्यकालीन गुजराती (मारुगूर्जर) भाषानी कृतिओना संशोधन ।

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