Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 78
________________ जान्युआरी - २०२० ७१ ४४] सपन तणु फल सांभली, हरख थउ नर नारि, एक रसना केतुं कहुं, ते जाणइ कीरतार. ३९ तलक करी संतोषीआ, पहउता नीज घरि सार, कनक कहि सहु सांभलउ, गर्भ तणउ अधिकार. ४० ॥ राग-सामेरी ॥ गर्भ वाधि जमणि अंगि, माय ताय मनरंगि, खाटुं खारू नवि लीइ, नवि कडवू ओषध पीइ. गर्भ तणइ अनुसार, सुभ डहउला उपेरि प्यार (अपार?), न करि आरंभ अंगि, जिनभगतिसु रंग. जव पहउता पुरा मास, तव पहुती मननी आस, पुत्र तणउ जनम हवउ, जाणे उग्यु सुरय नवउ. ४३ [संवत सोल चउत्रीसउ भणीइ, पोस सुदि तेरस दिन जणीइ, रोहिणी नख्यत्र रम(म्म), ताम हुउ पुत्रनुं जन्म. पुत्र तणुं मुख नरखि, सा. थरू मनमांहि हरखि, तेडावी जोतकी जाण, ते बिसारि बहुमानि. कहि पुत्र अम्ह घिर हुउ, जनम-जोग तुम्हे जुउ, लगन-भाव सुभ जाणी, इंम बोलि पंडित वाणी. ए लिहिसि सयल जगीस, ए थारि नरपती-ईस, कइ मुनीवर मन मोहि, ए सकल सुरि-सरि सोहि. ए वात सुणि मनरंगि, पिहिराव्या पंडित अंगि, देइ दांन सहु वाला, देइ आसीस ते चाला. दिवस दसमि दसुठण कीजइ, असुचि वस्त वरजीजइ, जे सोहवि मंगल गावि, ते पान सोपारी पावि. सुभ दिवस जब आवि, ते माय ताय मनि भावि, जिनमंदिर पुज रचावि, नगरि अमारि पलावि. मंडप मोटा करावि, तीहा सजन-वर्ग पधरावि, सजन सहुअ जमाडी, पिहिरावि पटकुल साडी.

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