Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 83
________________ अनुसन्धान-७९ १०३ १०४ १०७ महा महुछव हउइ अपार, भोटु साह बोलइ तीणी वार, श्रीगुरु सुणो कहुं कर जोडि, चउमासुं रही पुरु कोड. १०१ आस अम्हारी पुरण करू, करी वीनती चीतमांहि धरू, तुं मुनीवर कृपानु नाथ, माहरि मस्तकि देज्यो हाथ. नीसुणी भोटा साहनी वाणि, रहा चउमासुं श्रीगुरु जाणि, . . उछव महउछव थाइ अपार, मलउ संघ नवि लाभइ पार.. भोटउ साह भावई भावीउ, साते खेत्रे ते द्रव्य वावीउ, नीज लछीनु लाहउ लीइ, जाचिकजननई वांछीत दीइ अमारि पलावइ मननी रली, नवि भांजइ कोए नील सली, नदी नवाणि गलणां आखी(पी)इ, पोताना जण नीहा थापीइ. १०५ इंम अमारिपढउ बाजीइ, जिनसासन-महिमा गाजीइ, खेत्र-गुण जाणा अभीराम, तीणइ अवसरइ गुरु चींति आय. १०६ सुभ महुरत लेइनइ आज, ध्यान तणुं इहां कीजइ काज, वाचक वीबुधनइ मनि आणि, श्रीगुरु बइठा सुखसु ध्यांनिं. सुरिमंत्र समरि गुणनिध्य, जेहथी लहीइ सघली सिध्य, धुलि धानि आंब(बि)लि करइ, श्वेत वस्त्र ते अंगि धरइ. १०८ आगलि अगर बहइकइ बहु-मूल, ततख्यणि देव थाइ अनकुल, प्रगट थइनइं बोलि वाणि, मीठी मधुरी अमीअ समाणि. १०९ विद्याविजय छइ गुण- धणी, पदवी देज्यो तुम्हो आपणी, ए धरसि तपगछनु भार, जिनसासनि हुसइ सणगार. ११० जक्षराअ ते इंम कही जाइ(य), श्रीगुरु हीअडि हरख न माय, नीसुणी ते देवनी वाच, श्रीगुरु जाणी सघलु साच. १११ ध्यांन पारीनइं बइठा जसइ, विद्याविजयनई तेडि तसइं, इरयासुमतिं ते आवीउ, विनय करी बइसइ भावीउ. ११२ जे वस्त्र अंगि पिहिरीआं, विद्याविजयनइ ते सवि दीआं, सुभ महुरत जोइ सुरीस, महुलि आव्या सहु नामइ सीस. ११३ देस देसना संघ सांभली, वंदणि आवि ते सहु मली, पाटण संघ पिहिलउ आवीउ, सबल सजाई ते लावीउ. ११४

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