Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 86
________________ जान्युआरी - २०२० ७९ १४२ १४३ . १४४ १४५ पंचसबद तीहां वाजीए, त्रंबावती संघ वीराजीए, वीराजीए, ढोल ददामां दडदडी ए. भेरी नफेरी तणा, सरणाई सबद सोहांमणा, . सोहामणा, ताल कंसालसुं दीपता ए. इंम संघ सजाइ सकल करी, आगलि अष्ट मंगल धरी, मंगल धरी, श्रीपुज्य साहामा सांचरा ए. महामहउछवि पधरावीआ, सागुटि उपासरि आवीआ, . आवीआ, चतुरविध संघसुं परवरा ए. इंद्र-सभा सम सभा मली, अंगपुजा करि मनि रली, मनि रली, आगलि चोक मोती तणा ए. १४६ सोवन रूप फुल ए, मोती वली बहु मुल ए, मुल ए वधावी प्रभु वांदीआ ए. १४७ प्रभावना बहु कीजीइ, श्रीफल फोफां दीजीइ, दीजीइ, जाचिक जाचां मोलीआं ए. १४८ कणय कभाइ करावीइ, जाचिक-जन पिहिरावीइ, पिहिरावीइ, सामी सारां सावटु ए. श्रीगुरु तीहां पधारीआ, हरख्या सहु विवहारीआ, विवहारीआ, वीनती तीहां वारू करइ ए. दहा . संघ सवे मली करी, करि वीनती कर जोडि, पद तणुं महुरत लीउ, ए अम्ह पुरो कोड. एह थानक रूडं अछइ, करू पदनुं काम, एह वचन श्रवणे सुणी, श्रीगुरु बोला तांम. १५२ तेडउ पंडित जोतकी, म करू वलंब लगार, तेहनी साखि लीजीइ, पद-महुरत सुखकार. १५३ ॥ राग-आसाउरी ॥ त्रंबावती संघ संप लछी पुराजी, धर्म तणो वली रंग दानि सुराजी, वंदइ स[ह]हि-गुरु चरण कहइ इंम कीजइजी, आचारज्यपद कीय महुरत लीजइजी. १५४ १५० १५१

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