Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 80
________________ जान्युआरी - २०२० ७३ संयम लीजइ साथि, श्रीविजइसेनसुरि हाथि, वछ तु लघु वेस, वीहार करवा देस प्रदेस. आहार नीरदोष ते लेवा, बावीस परीसह सि(स)हिवा विनआदिक ववेक, करवा गुरना अनेक. साचववी सघली कीरीआ, जिणे जती-पंथ उधरीआ, दोहेलउ पंथ छइ एह, सकोमल ताहरी देह. दूहा सुणी वचन माता तणां, वासण बोलि आम, संयम साथि लीजीइ, कीजइ रूडां काम. सालिभद्र भोगी भलउ, छांडी सघली र(रि)धि, संयमव्रत पाली करी, लहि सरवारथ सिधि. धनु(न्नु) बनेवी तेहनु, तरुणी तजी तेणी वार, संयम सार पाली करी, लहइ सरवारथि सार. वली मोटा जे मुनी हवा, तीणे मुक्यउ संसार, वासण कहि माता सुणो, लेसुं संयमभार. ॥ राग-केदारूणी ॥ रूपां बोलि रूपां बोलि वासण परति रूपां बोलइ (आंचली), सुणि वछ वाणी, तुं हीत जाणी, रूपां.. सि(स)हिगुरु संगि, लेसुं रंगि, रूपां... संयम वारू, भवदुख-तारू, रूपां... इंम वात करंतां; हरख धरंतां, रूपां... विजइसेनसुरि आवइ, आनंद पावइ, रूपां... संवत सोल लहीइ, एकतालउ (१६४१) कहीइ, रूपां... इडरि आव्या, मोती वधाव्या, रूपां... सहु संघ हरखि, गुरु-मुख नरखि, रूपां... तीहां श्रावक श्रावी, बिठां आवी, रूपां... गुरुमुख-वाणी, सुणइ भवी प्राणी, रूपां...

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