Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जान्युआरी - २०२०
२३
गाथा - १०७मां - महापूजानी वात ।
गाथा - १२२मां - कनकहेतु राजा मन्दिर-द्वारे बेठा छे, ज्ञानी ऋषि आवे छे अने राजा पूछे छे 'अमारा जमाईनुं नाम शुं? तेना मा-बाप कोण अने क्यांना छे ?' त्यारे तेना जवाब साथे ऋषि कहे छे 'सदाचार श्रीपालकुमार'।।
गाथा - १८१ मां धवलसेठ श्रीपालने मारवा केवी रीते जाय छे ते उल्लेख छ -
"दोरीयइ बांधी चंदनगोह, माझिम राति नांखी चडइ" ।
गाथा - २३७ थी २३९ मां - श्रीपाल माताने मलवा पोतानी बधी स्त्रीओने तेडीने आकाशमार्गे घरे जाय छे ने त्यां बधा अंतेउर मळे छे त्यारे मयणासुंदरीने पटराणी तरीके स्थापे छे ।।
गाथा - ३०७ मां चार मंगलनी वात सरस कही छे -
"पहिलं मंगल सवे अरीहंत, बीजुं सिद्धचक्र जयवंत
त्रीजुं विमलदेव सुविसाल, चोथु मंगल राय श्रीपाल" आम अनेक प्रसंगमां कविए सरस आलेखन कर्यु छे ।
ए६० ॥
करकमल जोडेवि करि, सिद्ध सयल पणमेसु श्री श्रीपाल नरेंद्रनउ, रासबंध पभणेसु ॥१॥ महीयलि मंत्र अनेक छइ, पांपलि म पडि गमार भवसायर ते ऊतरइ, जउ जपीयइ श्रीनवकार ॥२॥ श्रीगुणदेव पसाउलइ, रचीयइ कवित 'रसाल ज्ञान भणी सह सांभलउ, सिद्धचक्र गुणमाल ॥३॥ सुणतां श्रवणे सुख हुयइ, भणतां वयण पवित्त नवपद महिमा सांभलउ, हृदय धरी एक चित्ति(त्त) ॥४॥
१.
श्री गुरवे नमः ।
२. गुरुदेव ।
३. विसाल ।

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