Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 49
________________ अनुसन्धान-७९ पंजर नयण पीहाड गाल, मोटे होठे पडती लाल आवी थंभ्य ओठंगी५ रहइ, नरपति सति बोलावी कहइ ॥२०१॥ कहु खुंधा तुम्हारुं काज, जे आवी ऊभा इहां आज जिण कारणि बइठा छउ तुम्हे, तिण कारणि ऊभा छु अम्हे ॥२०२॥ हड हड हसीआं सवि भूपाल, खुंधउ वर ६ए वरसइ बाल राय सुता नर वाहणि चडी, वाज्यां दमा(दा)मां दडवडी ॥२०३।। संवर८७ मंडपि कीयउ प्रवेस, दीठउ खुंधा रूप निवेस जाणइ लोक ऊभउ छइ खुंध, सीपारूप देखइ तिहां मुंध ॥२०॥ तीखे नयणे जोवयइ ताडि, बइठा८ नरपति मुंक्या मांड(डि) खुंधा उरि घाली वरमाल, धडहडीया कोपि भूपाल ॥२०५॥ रे खुंधा भूली ए बाल, कंठि थकी पाछी द्यइ माल खुंधउ कहइ अदेखा काय, रूप नही तउ खीजउ काय ॥२०६॥ तउ काढी ऊठ्या हथीयार, रोसि चड्या नवि जाणइ सार खुंधा रूप टली श्रीपाल, साम्हउ थयउ काढी करवाल ॥२०७॥ नासी भूपति गय° उभउ वाय, राजकुमरि परणी तसु ठाय पायक एक कहइ तिहां वयण, वात सुणउ सीपा नर रयण ॥२०८॥ धरापाल दल पाटणि भूप, गुणमाला पटराणी रूप शृंगारसुंदरि बेटी नाम, पंच सखी छइ तसु अभिराम ॥२०९॥ मनि समस्या छइ तेही तणइ, ९२राजकुमरि ते इम भणइ तेह अम्हे वर वरस्युं जाण, अवर सहोदर जिनवर आण ॥२१०॥ नवपद समरी गयउ तसु ठाणि, राजकुमरि बोलावी जाणि श्रीमुखि समस्या पूरुं वली, कहइ तउ बोलावू पूतली ॥२११॥ ८४. तव बोल्यो अतिहिं सुजाण ॥ ८६. वरस्थे सही वरमाल । ८८. वरवा । ९०. पडीया पाय । ९२. जे पूरइ आवी इम । ८५. उठिंगण । ८७. नयरमांहि । ८९. मुंडि । ९१. मुझ ।

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