Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ ४४ अनुसन्धान-७९ वहुयर सवि साथि लेई, चालियउ कुंअर श्रीपाल रे थानपुरी जई ऊतर्यउ, हरखियउ राय वसुपाल रे ॥२२४॥ न० । कुंअर पराक्रम प्रीछीयुं, उत्तम लगन सुलीध रे च्यार महाधरा "सवि भरी, राय५ राय पद दीध रे ॥२२५॥ न० ॥ ढोल दमां(?ददा)मां वाजीयां, वल्या नीसाणे घाउ रे सीमाडा आवी मिलइ, भेटि लेई सवि राय रे ॥२२६।। न० ॥ ऊजेणी भणी सांचरइ, वाहणि चढीय सुजाण रे सोपारइ पाटणि जई, दल दीधां मेल्हाण रे ॥२२७॥ न० ॥ नयर मंत्रीसर आवीयउ, भेटियउ राय ९७श्रीपाल रे सांभलि स्वामी वीनती, म करिस लो(को)प कृपाल(कुमार) रे ॥२२८॥ न० महीसेन रायां कुंअरी, क(ड)सीयउ अज भुयंग रे, तिलक सुंदरि विष नवि वल्युं भूपति दुक्खदू(९) यं(अंग रे ॥२२९॥ न० महिता वयणे ऊठीयउ, पुहतउ राय श्रीपाल रे दाह म द्यउ रे अजाणियइ, ए हुं जीवाडिसि बाल रे ॥२३०॥ न० महामंत्र मनि ध्याईयउ, कंठि ठव्यउ तसु हार रे तिलक सुंदरि बइठी थई, ऊतरीयउ विषभार रे ॥२३१॥ न० महीसेन आणंदीयउ, भेटि करइ तसु सार रे तिलकसुंदरि परणावीयउ भगतिय उरीय अपार रे ॥२३२॥ न० तिलकसुंदरि आणू करी, चालियउ दल बहूत रे देस देसाउर हिय साधीयां, मालवमाहि पहूत रे ॥२३३॥ न० ॥ चउपई ॥ चर मुखि जाण्युं परदल बहू, कण कापड जस (सज) कीधा व(स)हू ऊजेणी आव्यउ श्रीपाल, गढमाहि पुहतउ पुहवीपाल ॥२३४॥ वींटी नयर धाया नीसाण, चिहुं पोले कीधां मेल्हाण हूई राति सीपा मनि खंति, चाल्यउ माय मिलण एकंति ॥२३५।। ९४. सेसि । ९६. सवि आवी। ९५. राई । ९७. वसुपाल ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110