Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७९
विगतो अहीं आलेखाय छे. ढाळना अन्तमां अतिमहत्त्वपूर्ण कही शकाय तेवी ३ विगतो छे जेमांनी पहेली नोंध विद्याविजयजीने आचार्यपद अपायुं त्यारे अन्य १६ मुनिओने ते प्रसंगे वाचकपद आप्यानी, बीजी नोंध पद प्रसंगे पधारेला ७०० मुनिओमांथी केटलाक मोटा मुनिओनां तथा श्रावकोनां नामोनी छे. ज्यारे त्रीजी नोंधमां ते समये श्रीमल्ल साह वडे करायेल लाहणीनी वर्णना छे.
केदार रागमां गवायेली काव्यनी सातमी ढाळ शाह कीका ठारना प्रतिष्ठा-महोत्सवनुं वर्णन करती ढाळ छे. एमां पण खास करी ते विधान माटे वेदिका कराव्यानी जवारा वाव्यानी जलयात्रा विधान आचर्यानी तेमज इन्द्रइंद्राणी स्थाप्यानी (?) विगतो छे. जो के अहीं ते सिवायनी पण अन्य केटलीक धार्मिक तैयारीओनी नोंध पण जोइ शकाय छे. आ ढाळनी बीजी एक विशेष मण्डप रचाव्यानी, विविध पुष्पोनां तोरणो तेमज उत्तम वस्त्रोना चंदरवा बंधाव्यानी, धवल मंगल गाननी साथे विविध वाजींत्रोना कराता निर्घोषनी, श्रावकसमुदायने अपाती पहेरामणी जेवी नोंध प्रतिष्ठा समये “चिन्तामणि पार्श्वनाथ' एवं प्रतिमानुं सूरिजी वडे करायेलुं नामाभिधान छे. काव्यनी आठमी ढाळ अधर रागमां गवाती चोपाइ छन्दनी रचना छे. ढाळना पूर्वार्धमां कविए सूरिजीना खम्भात चातुर्मास दरम्यान थयेली पूजा, स्नात्रमहोत्सव, माळारोपण, व्रतोच्चार, छठ्ठाठ्मादि तपश्चर्याओ वगेरे आराधनाओ, वर्णन कर्यु छे. ज्यारे उत्तरार्धनां पद्योमा चातुर्मास पूरुं थतां सकरपुर, कंसारी, सोजीत्रादि तीर्थोनी स्पर्शना करी संखारी पधारता पाटणना संघ वडे सामे लेवा आव्यानी तथा पाटणमां तेमना करेला भव्य सामैयानी विगतो छे. खासतो आ ढाळमां उल्लेखायेली "नारंगा पार्श्वनाथना दर्शन करी उपाश्रय पधारता सूरिजीनी श्रीसंघ वडे करायेली नवाङ्गपूजा"नी नोंध विशेष नोंधवा योग्य छे.
वांदणा महोत्सव- वर्णन करती काव्यनी छेल्ली ढाळ धन्यासी रागमां गुंथाइ छे. पाटण संघनी विनंतीने ध्यानमां लई विजयसेनसूरिजीए ज्यारे विजयदेवसूरिजीनो वांदणा महोत्सव पाटणमा करवानी श्रीसंघने अनुज्ञा आपी त्यारे श्रीसंघना आदेशथी सहसवीर श्रेष्ठिए पाटणमां वांदणा महोत्सवनी केवी तैयारीओ करी तेनुं अहीं काव्यमां कविए क्रमबद्ध आलेखन करेलुं छे. आ तैयारीओमां सहसवीर वडे मोटा मोटा मण्डपो रचावायानी, उपाश्रयो शणगार्यानी

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