Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 65
________________ अनुसन्धान-७९ तेडावी करावाता प्रीतिभोजननी अने ते प्रसंगे अपाती पहेरामणीनी तेमज पुत्रनी फइओ वडे कराता फईआरानी तथा नामकरणनी विगतोमा तत्कालीन रीत रीवाजोनुं प्रतिबिम्ब जोवा मले छे. आ ज क्रममा आगळनां पद्योमां कवि वडे कुंवरनी बाळसहज क्रीडानु, विद्याध्ययन, तथा सा. थिराना अचानक थयेला अवसानथी वैराग्यवासित माता-पुत्रनी संयमाभिलाषानुं ग्रन्थन थयेलुं अहीं जोई शकाय छे. त्यारपछीनी काव्यनी त्रीजी ढाळ केदारुणी रागमां छे : जेमां मातापुत्रना संवादने रजू करतां पद्यो पछीनां ३ पद्यो विजयसेनसूरिजीनी ईडरमां पधरामणी थता श्रीसंघमां थयेली विविध प्रकारनी आराधनानी वर्णनानां छे. ज्यारे ४) पद्य माता सहित वासण वडे पूज्यश्रीने "संयम प्रदान करवानी" विनंतीना भावो व्यक्त करतुं छे. जो के ते विनंतीना प्रत्युत्तरमां सूरिजी वडे "ते अंगे वधु प्रमाद न करवानी" टकोर थतां ते वातनो मर्म समजी लई माता-पुत्र वडे अमदावादमां सा. वधूआए करेल महोत्सवमां पूज्यश्रीना हाथे ज दीक्षा ग्रहण कर्यानी त्यारपछीनां पद्योनी विगत ते बन्नेनो सूरिजी प्रत्येनो समर्पणभाव सूचवे छे. विशेषमां अहीं ढाळना अन्तमां कविए आपेल विद्याविजयजीना अभ्यासनी विगतो मुनिश्रीनी विद्याप्रीतिनी साथे साथे विद्वत्तानी पण सूचक छे. चोथी ढाळ शरु करतां पूर्वे कविए अहीं २ दूहाओ प्रयोज्या छे जेमांना पहेला दूहामां तेमणे "मुनि विद्याविजयजीने पदयोग्य जांणी विजयसेनसूरिजी वडे सं. १६५५मां पण्डितपद अपायानी" ऐतिहासिक विगत नोंधी छे. तो बीजा दूहामां "पोतानी पाट सोंपवा माटे योग्य पदाधिकारीनी तपास करता विजयसेनसूरिजीनी लाडोलमां ध्यान करवानी विचारणा" ने जणावी छे. दूहा पछीनी ढाळ चोपाइछन्दमां छे. ढाळनां प्रथम पांच पद्योमा सूरिजी लाडोल पधारता श्रीसंघ वडे करायेला सामैयानी विगतो छ. ज्यारे छठ्ठा पद्यथी लइ अग्यारमा पद्यमां कविए भोटु साह वडे करायेल चातुर्मासनी विनंतीनु, सूरिजी वडे अनुमति प्राप्त थये छते कराता भव्य महोत्सव, तथा सप्तक्षेत्र दान-अमारी पडह-साधर्मिकभक्ति-जीवदयादि धर्मकार्यो कर्या-कराव्या- ओछा पण रसाळ शब्दोमां करेलुं वर्णन अहीं जोइ शकाय छे.

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