Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७९
वेगइ तेड्यउ पुण्यपाल, रूपसुंदरी भाई अंबर रोग दूरि गयउ, रूप जोवउ जमाई मयणा तेडी प्रीयुस्युं, ऊजेणीमाहि मनरंगि आप्युं मालीयुं, मनतणइ उच्छाहि ॥४६।। मालवपति रयवाडीयइं, चाल्यउ तुरी चडीय मयणां खेलइ प्रीयुस्युं, रायदृष्टि पडीय देखी रूप कुमारनु, राजा अति कोपीयउ बेटीयइं बीजइ आदर्यउ, अंबर ईणइ लोपियउ ॥४७॥ जाणी आरति रायनी, पुण्यपाल संतोषइ सती सिरोमणि तुम्ह धूय, ए कुल किम दोषइं सिद्धचक्रनउ तप तप्पउ, सुंदरि मन भावि रोग रहित ए प्रीयु हूयउ, ते पुण्य प्रभावि ॥४८॥
॥ दूहा ॥ अंग देस चंपा धणी, सिंहरथ भूपाल कमला कूखई ऊपनउ, राजन ए श्रीपाल ॥४९॥
॥ चउपई ॥ तीणि व[य]णि रोमंचित राउ, २५कुमरि जमाई करइ पसाउ मई वाह्यउ पाथर भणी हाथ, चिंतामणि दीधुं जगनाथि(थ) ॥५०॥ सार करी पहुतउ भूपाल, मनि विमासण थई श्रीपाल ससरातणइ कुलि वसती लाज, राय राणा मुझ नटसि आज ॥५१॥
→ चउहटइ चाल्यउ कुमर श्रीपाल, लोक सहू को बोलइ आल । एक भणइ ए जाणियउ एह, घरजमाई राख्यउ तेह ॥५२।। -
॥ दूहा ॥ घरि जमाइ घरि सुणुह, परथरि पेट भरंति विण अपमानह छोरु अह, मरइ कि दूरि भमंति ॥५३॥
२५. कुंअर ॥

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