Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ ३८ अनुसन्धान-७९ ॥ चउपई ॥ कंत वियोगई रोवइ नारि, धवल आव्यउ तसु जंग मझारि रोती रहि सुंदरि सुखसार, मई सुंप्यउ तुम्हनइ घरभार ॥१५३॥ तासु वयण दुःख हुअउ अपार, इण पापी मार्य भरतार धवल हसी बोलइ एक वयण, झटकइ तब अंधारुं गयणि(ण) ॥१५४॥ चिहुं दिसि ऊपडीआ पवन, जाणे बेऊ मिलीया छइ भवन: वाज्या घूघर डमरू डाक, न्यायतणी परि हुई हाक ॥१५५।। बावनवीर लीया छइ जमलि, विसम चक्र तोल्यउ करकमलि चक्रेस्वरि बोली६९ विकराल, साथि छइ साते क्षेत्रपाल ॥१५६।। सकति भणइ पापी सिर पडु, कुबुद्धि प्रधान कूआसिरि जडुं → पिहली दडवउ तीणइ लाध, चतुरंग करी कूआसिर बाध ॥१५७॥ धवल हणेवा धाया वीर -, मयणा सरणि पयट्ठउ भीरु सकति भणइ तुं नथी लाज, मयणा लोपी किम माझं आज ॥१५८। बेहू मयणा लागी पाय, सार करी भलई अम्ह माय बेटी भणी बोलावी बाल, कंठि ठवी सुरतरुनी माल ॥१५९॥ म करिसि बाई हीयइ अणाह, भास अभ्यंतर मिलस्यइ नाह राजकुंअरि संतोषी आणि, चक्रेसरि पहुती निज ठाणि ॥१६०॥ कुंकणि जाई वाहण ऊतरइ, भली भेटि भूपतिनइ करइ भेटइं रंज्यउ द्यई बहु मान, सारथवाह अपावइ पान ॥१६१॥ थईआयत तिहां बीईं दियइं, सारथपति सइं हथि लीयइ ओलखीयउ वयरी विकराल, सेठि तणइ मन पइठी झाल ॥१६२॥ आव्यउ हाथ वली एक हेठि, कणमणतउ ऊठ्यओ तब सेठ(ठि) ते कांई मांडिसि उपाय, जिम रूसेसी एहनइ राय ॥१६३॥ उंब कटंब आव्यउ तिहां एक, धवल बोलावइ करी विवेक सारउ एक अम्हारूं काज, सवा लाख धन आपुं आज ॥१६४॥ राय जमाई मारउ तुम्हे, सवा कोडि वलि देस्युं अम्हे डंब भणइ ए थोडं काज, काम अम्हारुं जोइ आज ॥१६५॥ ६९. कोपी ॥ ७०. अणमणो। ७१. धन ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110