Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 37
________________ ३० अनुसन्धान-७९ कर जोडी बोलइ नर छेक ३४, उत्तरसाधक जोईजैइ एक पुरुष रयण तुं भेट्यउ आज, सरस्यइं आज अम्हारुं काज ॥६५॥ कुंअर कहइ तुं विद्या साधि, एकान तुझ६ लीधुं कांधि उत्तरसाधक थयउ श्रीपाल, पूरी विद्या थई समकालि(ल) ॥६३।। विद्याधर तूठउ उच्छाहि(ह), आपी औषधी बे तसु ठाय एकइ जल ऊतरीयइ पूर, बीजी परदल जीपइ सूर ॥६७॥ विद्याधर मोकलावी कुमर, चाली आव्यउ भरुअछि ३ नगरि(र) भरुअछ पीठ प्रसिद्धं ठाण३८, कौतुक जोवा रहिउ सुजाण ॥६८॥ वाहण सय पंचनउ धणी, धवलसेठ करइ पूरणी थंभ्या वाहण किम्यई विरामि, घणइ प्रपंचि न छंडइ ठामि ॥६९॥ वारू भोग सजाई करी, धवलइ पूठी(छी) सीकोतरी सकति कहइ तउ बेटी४० तरइ, पुरुष हणी तु जउ बलि करइ ॥७०॥ कारण सगलुं प्रीछ्युं धवलि, वारू वस्तु लेई करकमलि जई भेटि भरुअछ, भूप, थंभ्या वाहण कहइ सरूप ॥७॥ भेटइ रंज्यउ बोलइ राय, अम्ह सरीखउ कहओ उपाय वाहणपति कहइ सांभलि खरुं, नर एक आपि अम्हे बलि करूं ॥७२।। राय आदेस हुअउ ४१अति भलउ, पुरुष विदेसी नइ एकलउ ते झालीनइ तुं बलि करे, ४२अम्ह देसाई नर परिहरे ॥७३॥ दस सहस धवलना सुभट, फिरिफिरि नयर निहाय(ल)इ वट्ट एकलमल नर दीठउ ट्रेठि, मिलीया पायक ठिठाठेठि ॥७४॥ पायक भणइ रे ऊठि अबूझ, रूठइ धवल हणेसी तुझ बलि देस्यइ योगिणिनइ वीर, तउ अम्ह वाहण तरस्यइ नीर ॥७५॥ चंपापति तव बोलइ हसी, सीहतणी बलि हुयइ ४३ए किसी रोसई चडियउ बोलइ निसंक, धवल तणी बलि घउ रे रंक ॥७६।। ३४. एक ॥ ३६. अम्यो ॥ ३८. जाण ॥ ४०. वाहण ॥ ४२. आ ॥ ३५. जोईई नर एक ॥ ३७. मझारि ॥ ३९. किसिं ॥ ४१. तस ॥ ४३. रे ॥

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