Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 27
________________ २० अनुसन्धान-७९ रीनो जयति जिनोक्तो धर्मः षड्जीवनिकायवत्सलो नित्यम् । चूडामणिरिव लोके विभाति यः सर्वधर्माणाम् ॥३।। सा नो भवतु सुप्रीता निर्धूतकनकप्रभा । मृगेन्द्रवाहना नित्यं कूष्माण्डी कमलेक्षणा ॥४॥ केटलाक शब्दो खजीनो खजानो कडीक्र. २ घटीनो घडीनो क्षय पामे उपद्रव सीनो आसीन-बेसेला माझिअपापापाए मध्यम अपापानगरे उतीनो ऊंचास्वरे (?) अभविक अभव्य-मोक्षने अयोग्य मुगसेलु मगशेलियो पत्थर बेदी वेदना जाण यगनिवाड यज्ञनो वाडो ऊसपति चउच्यालांशत ४४०० छात्त छात्र बरुदाली बिरुदावली जिनरिधि जिननी ऋद्धि खाली खाली चडवी (?) छपायु छूपावू फकी फाकी-फक्किका-अर्थ दीख दीक्षा पंपोट परपोटो दीख्यो दीक्षा आपी विगत व्यक्त (विशेष नाम) पांतरित पटोधर पट्टशिष्य वेद-मोहनीय कर्म * ई. ई.* 8.34 1 वेद

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