Book Title: Anusandhan 1998 00 SrNo 11
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ आवीने वस्या. बन्ने “परीक्षक" तरीके खूब जाणीता थयेला. सीधरने कपूरी नामे अत्यन्त गुणियल पत्नी. अने तेमनो पुत्र ते पासवीर. ते पण परीक्षकोमां श्रेष्ठ तरीके पंकायेलो. तेणे श्रेष्ठ कही शकाय तेर्बु जिनेश्वर परमात्मानुं गृहचैत्य बनावरावेलुं ते आ चित्कोश लखावराव्यो त्यारे पण अनेक मनुष्योना चित्तने आश्चर्य चकित करे छे. ___ आ पासवीरने पूतलीबाई नामे पत्नी. अने तेना त्रण पुत्र - १. राम, २. देवाक , ३. वर्धमान. रामनां पत्नी बे, कीकी अने मानी. देवाकनां पत्नी नुं नाम रमाइ अने वर्धमाननां पत्नी हांसी. देवाकना पुत्रनुं नाम जगपाल अने वर्धमाननां पुत्रनुं नाम सूरचंद. राजस्थानमां धरणासाहे जे आचार्यश्रीना वरद हस्ते राणकपुरना विश्वविख्यात चतुर्मुख प्रासादनी प्रतिष्ठा करावी ते आचार्यश्री सोमसुन्दरसूरिजी महाराज. तेमना पट्टशिष्य मुनिसुन्दरसूरि (जेओ सहस्रावधानी कहेवाया). तेमना शिष्य जयचन्द्रसूरिजी अने तेमना शिष्य रत्नशेखरसूरिजी. तेमना पट्टशिष्य लक्ष्मीसागरसूरि, तेमना शिष्य सुमति साधुसूरिजी अने तेमना पट्टशिष्य आचार्यश्री हेमविमलसूरिजी तेमना शिष्य श्री जिनमाणिक्य अने तेमना शिष्य श्री अनंतहंस ना उपदेशथी परीक्षक (परीख) पासवीरे आ चित्कोश (ज्ञानभंडार) लखाववानो प्रारंभ कराव्यो अने पछीथी तेमना पुत्रे रामे (वि.सं. १५५७) आ महान कार्य पूर्ण कराव्यु. छ लाख अने छत्रीस हजार श्लोक प्रमाणे ग्रन्थो लखाव्या. शुभभूषण नामना पंडिते ए लखेला ग्रन्थनुं संशोधन कर्यु, वळी आ ग्रन्थोने राखवा माटे ग्रन्थनी आगळ पाछळनी पाटली, पण रसपूर्वक बहुमूल्यवाळी बनावरावी अने आ आखा ज्ञानभंडार- सुंदर मरोडदार अक्षरोमां भगीरथ लेखन कार्य करनार लहीया माढ-त्रवाडी ज्ञातीय वासा तेना पुत्र श्रीनाथे तथा तेमना भाइ गोविंदे आ लेखन कार्य पूर्ण कर्यु छे. आम आ २४ श्लोकनी संस्कृत प्रशस्ति पण मनोरम छे. एकवीसमा श्लोकमां 'फरंगी' अने 'कतीफक' आ बे शब्दो फारसी भाषाना जणाय छे. कोई ए भाषाना विद्वान तेना अर्थ जणावशे तो आनंद थशे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122