Book Title: Anusandhan 1998 00 SrNo 11
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 118
________________ 113 बेसाड्या छे, ए विशे तेमणे अहोभाव व्यक्त करी जैन कविओ आनंदघन, वीरविजयजी, यशोविजयजीना स्तवनोनी परंपरागत ढबे गानप्रस्तुति करी. शैव-शाक्त संप्रदाय विशेना वक्ता श्री राजेन्द्र नाणावटीए तद्विषयक तलावगाही अभ्यास रजू कर्यो. सर्वश्री कनुभाई जानी, निरंजन राज्यगुरु, जयंत गाडित, नीतिन महेताए परिचर्चामां तेमनां मंतव्यो रजू कर्यां हतां. रविवारनी त्रीजी बेठकमा 'व्यापक लोकपरंपराओ अने संप्रदायमुक्त प्रवाहो' विशे सर्वश्री कनुभाई जानी, भगवानदास पटेले पोतानो अभ्यास रजू करी संगोष्ठीने रसप्रद बनावी हती. श्री दलपत पढियारे रजू करेल भजनो भाव अने कंठ, उभय रीते मनभावन रह्यां. खेडब्रह्मानी आदिवासी लोकवार्तिक मंडळीए वारतानी रजूआत बोलीमा गीत, संगीत अने नृत्यनी रीते करी. आ रजूआत दरमियाननी श्री भगवानदास पटेलनी लाघवयुक्त समजूती श्रोताओने रुचिकर नीवडी. ता. ६ ओक्टोबरना बीजा दिवसनी सवारनी बेठकमां श्री बळवंत जानीए सर्वधर्म – सर्वजीव प्रत्ये प्रगटता जैनपरम्पराना समभाव विशे राजीपानी लागणी व्यक्त करी, आ परंपरा अन्य परंपराओ सुधी विस्तरे एवी भावना प्रगट करी. श्री जानीए संप्रदायमुक्त वलणोनां उदाहरणोनी विशद छणावट करी, विविध संप्रदायोनी निकटतानुं स्पष्ट चित्र रजू कर्तुं हतुं. श्री रश्मिबेन व्यासे स्वामी नारायण संप्रदायने ऐतिहासिक ने दार्शनिक संदर्भमां रजू करी, कृष्णभक्तिनां विविध स्वरूपनी समज आपी हती. तेमणे स्वामीनारायणी कविओए आदरेलां लोककल्याणनां कार्योनी स्पष्टता करी, तेमनो तत्त्वबोध स्पष्ट कर्यो हतो ने प्रेमसखी जेवा कविओनां गीतोनी प्रस्तुति द्वारा वातावरणने रसमय, मधुर बनाव्यं हतुं. श्री प्रवीणचंद्र सी. परीखे प्रणामी संप्रदाय विशे पोतानो अभ्यास रजू कर्यो हतो, तो श्री लवकुमार देसाईए पुष्टि संप्रदाय विशे विशद मीमांसा करी हती. 'निश्चेना महेलमां वसे मारा वालमो' पदनी श्री लाभशंकर पुरोहितनी प्रस्तुतिनो आस्वाद मनभावन रह्यो . बीजा दिवसनी बोरनी बेठकना वक्ताओ हता सर्वश्री नरोत्तम पलाण, प्रा. नाथालाल गोहिल अने श्री निरंजन राज्यगुरु गुजरातमां रामोपासना विशे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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