Book Title: Anusandhan 1998 00 SrNo 11
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
30
चतुर्थपद्यमां संबोधनो रची रूपकालंकारनी चमत्कृति कविए सहज रीते साधी छे. 'भावारिहरिण' एमां परंपरित रूपक छे. अहीं पण उल्लेख गम्य छे. तरण्ड अने करण्डनो अंत्यानुप्रास ध्यानार्ह छे. आ पद्यमां पण संकीर्तननो ज भाव छे.
पंचम पद्यमां स्वर्गना देवो, इन्द्र, किन्नर अने श्रेष्ठ नररूपी भ्रमरोना समूह माटे श्रेष्ठ कमळ, करुणारूपी रसना कुलमंदिर तथा सिद्धिरूपी महानगरीमां निवास करनार एम रूपकाश्रित संबोधनो छे.
छट्ठा पद्यमां पण संबोधनो छे अने रूपक द्वारा जिनेश्वरना गुणानुवाद करवामां आव्या छे. सुसिद्धांतरूपी कमळ जेमां खिल्युं छे तेवा सरोवरवाळा मेरुपर्वतरूप एमां अने रागरूपी सर्पने माटे गरुडरूप एमां रूपक छे. चिंतामणि रूपी फळमां पण रूपक छे.
सातमा पद्यमां 'शिवजीना हास्य, हार, चन्द्र, हिम, कुन्दपुष्प अने हाथी (ऐरावत) जेवा श्वेत' एमां भगवानने मालोपमा द्वारा वर्णव्या छे. अने अंतिम पंक्तिमां भवविरहनी कामना करी छे अने कविना 'भवविरहांक'ने वणी लीधो
सप्तममां शमनो भाव चरमकक्षाए पहोंच्यो छे. भगवद्विषयक रतिभावथी पद्यनो आरंभ थयो छे अने अंतमां भावनो प्रशम छे. अंते जिनेश्वर सुख एटले के आत्यंतिक सुख, आत्मिक सुखना हेतुरूप बनो एवी भावना सेववामां आवी छे. वच्चे वच्चे दैन्य, निर्वेद, तथा शमना भावोनी शबलता पण जोवा मळे छे. मुख्यत्वे रूपकालंकार छे. कविए खूब ज कुशलतापूर्वक भावध्वनिने अनुरूप अलंकारोनुं निरूपण कर्यु छे. रूपकनो अंत सुधी निर्वाह करवानुं पण क्यारेक यळ्युं छे. अने रसभावने सानुकूल अलंकार प्रयोग कर्यो छे.
तुलसीदासजीना "श्रीरामचन्द्र कृपाळु भज मन हरणभवभयदारुणम्" ए स्तोत्रना मनोहर पद्योने आनी समांतरे मूकी शकाय, अलबत्त एमां अनुप्रासनुं प्राधान्य होइ रचना गेय बनी छे. हरिभद्रसूरिजीना पद्यो पण जिनभगवंतना स्वरूप सौन्दर्यने वर्णवे छे छतां एमां चिंतनसभर विशेषणो विशेष प्रमाणमां छे.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122