Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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अभयं तुज्झ नरवई !
अभयं तुज्झ नरवई ! अभयकर निव्वुइकरा अभयकरो जीवाणं सीयअव पुरा अभविसु पुरावि भिक्खुवो अभिइ उच्च मुहुते चतारि
अभि सवण धणिट्ठा अभिइस्स चंदजोगो
भई छच्च हु भई सवा अभिई सवण धणिट्ठा अभिकंखतेहिं सुहासिया अधिकमे पडिकमे अभिवर्ण कोही भवइ, अभिगम चउरो समाहिओ, अभिजाइसत्तविक्कमसुयअभिजुंजिया रुद्द असाहुकम्म - (सूत्र) ३४१ अभिनंदिए पट्टे य (जंबू.) ९१ अभिनंदे सुपइट्ठे य
(म.प.) ३
अभिनंदे सुपा य अभिती समणो धणिट्टा अभिधेयसंकरो वा अभिनंद मे हिअयं अभिपेयमणभिपेओ अभिभूअ कारण परीसहाई,
(सं.प.) २६ (उ.नि.) ४३ (द.वै.) ४७४
अभिलप्पाऽणभिलप्पा अभिलप्पाऽविय अत्था अभिलावे संजोगो
अयं से उत्तमे धम्मे अयककरभोई य, दिले अयगार कूर परसू अग्गि अयणाईयदिणगणे अट्ठगुणे - अयमंतरंसि को इत्थ (विशे.) १५२ अयमवरो उ विकप्पो (विशे.) ४५७ अयमीपुप्फसंकासा, कोइ (उ.नि.) ४५ अयलग्गाम कुटुंबिय अभिलावो पुंलिंगा० (विशे.) २०९२ अयलपुरा क्खिते अभिवादनं अभुद्राणं, (उत्त.) ८६ अयलपुरे जुवराया अभिवाहारो कालिअ- (आ.नि.). १८२ अयले विजए भरे. अभिभूआ सासति (आ.नि.) १०८१ अयसिवणं व कुसुमि अभिहाणं दव्य (विशे.) ५२ | अयसिहरिमन्थतिउडगअभिहाणबुद्धिलक्ख० (विशो.) २११० अरई पिटुओ किच्चा, अभू जिणा अस्थि जिणा, (उत्त.) ९३ अखं खं च अभिभूव अमओ य होइ जीवो (दश.) भा. ५४ अरसहे पहीणसंथवे, अम गच्चासु तस्सेह (विशे.) ३४५३ अरई अचेल इत्थी अमज्जमंसासि अमच्छरीआ, (द.वै.) ५०६ अई दुर्गुछाए पुंवेय अरई गंडे विसूइया, अरईय जाइसूकरो (मूओ) अरति रतिं च अभिभूय अरती अचेल इत्थी
अमपुण्णं भोषणं भोच्चा अमपुण्ण अण्णसंजोइया अमणुन्नसमुप्पायं, दुक्खअममे णिकसाए प अमरनस्वयमहिओ पत्तो अमरनरण्यमहियं
(इसि.) २८१३ (ओघ.) ४२१ (सूत्र) ६९
(उ.नि.) ४०१
(सम.) ९१ (आचा.) २०६
(सूत्र) ६३१ (सूत्र) १६२ (जंबू) ११५
(स्था.) ३ (जंबू.) १११ (दे. प.) १०५ (अनु.) ८८ (जंबू.) ९० (आ.नि.) ७०८
(आ.) ३१ (उत्त) ३१५ (द.वै.) ४५९
(चन्द्र.) २७
(सूर्य.) २३
(स्था.) १४१ (विशे.) १५१४
अ
अमरनरवंदिए वंदिऊण अमरवरेसु अणोवमरुवं अमरिंदनरिंदमुदिबंदिअ
अम रोगे वा अंतो अमरोवमं जाणि सुक्ख अमियगइस्सवि विसओ अमियमणन्तं नाणं अमुगंति पुणो रद्धं दाहम अमुगं दिज्जउ मज्झं अमुगंमि इओ काले अमुअमुगाणंति व दिज्जउ अमुणिअमणपरि
अमोहं वयणं कुज्जा,
अम्मताय ! मए भोगा, भुत्ता अम्मापियरो भाया भज्जा अम्हे सावय ! जयओ
अयं चाययतरे सिया अयंव तत्तं जलिये सजोइ अयं साहस्सिओ भीमो,
अयं से अबरे धम्मे
(सम.) १४९ ( आ.नि.) ५४० अरमल्लिअंतरे दुण्णि केसवा (विशे.) १०६१ असं विरसं यावि
(दे.प.) १ (त.प.) १३५ (च.प.) ७९ (विशे.) ३४५४ (द.वै.) ४९२ (दे.प.) ५८ (विशे.) १०५० (पि.नि.) २४१ (आ.नि.) भा. २४० (म.प.) ९५ (पि.नि.) २३५ (भ.प.) १२४
(द.वै.) ३६७ (उत्त. ) ५९३ (म.प.) ६४४ (विशे.) २४२२
(सूत्र.) ४८६ (उत्त) ७६१ (उ.नि.) ७५ (उ.नि.) ७६
(उत्त.) २९८ (म.प.) ४९० (सूत्र.) ५७४
अलूसए णो पच्छन्नभासी, (विशे.) ३२१८ (आ.नि.) भा. ४९ (विशे.) ३०१५ (आ.नि.) ९२५
(विशे.) ३००९
(आ.नि.) ९२३
(विशे) ३०१२
(विशे.) ३०२४
(भग.) ५९ (आ.नि.) ४२० (द.वै.) १५७
अरहंतगुरुवज्झाय अरहंत चकवड़ी बलदेवा
अरहंतनमुक्कारो एवं अरहंतनमुक्कारो एवं खलु अरहंतनमुकारो जीवं अरहंतनका जीवं
अरहंतनमुकारो धण्णा
अरहंतनमुक्कारो सव्वअरहंत सिद्धचेइयगुरूसु अरहंत सिद्ध पवयण
अरहंताई निअमा साहू अरहंतागारवई
अरहंता जमचेला
अरहंता मंगलं मज्झ, अरहंतुवएसेणं अरहंतुवएसे सिद्धा
अरहंते वंदित्ता चउदसअरिहंत चकवट्टी चारण अरिहंतनकारी इकोऽवि
(आ.) ३५ (सूत्र) ३३० (उत्त) ८६८
(आ.) २८
अरिहंतनमुकारो धन्त्राण
(आ.) ३६ अरिहंतनमुक्कारो, सव्व(उत्त.) १८४ अरिहंत मग्गगामी दिट्टंतो (दश.) १४६ (दश.) भा. १३ अरिहंतसरणमलसुद्धिलद्ध- (च.प.) २३ ( ओघ.) २८३ अरिहंतसिद्धकेवलिपच्चक्खं (भ.प.) १५९ (आ.) ७६ | अरिहंतसिद्धचेइयपवपण (भ.प.) ७० (पि.नि.) ४१५ अरिहंत सिद्ध पवयण (आ.नि.) १७९ (उत्त.) १२६९ अरिहंतसिद्धपवयण० (आ.नि.)४५१. (म.प.) ४४९ अरिहंत सिद्ध साहू अरिहंताइनियमा
अरिहंति वंदणनमंसणाई
(नन्दी) ३२ (उ.नि.) ९८ (आ.नि.) भा. ४१ अरिहत्तं अरिहंतेसु (आ.नि.) भा. १०३ अरिहो उनमुकारस्स (दश.) २५३ | अरुणप्पभ चंदप्पभ (उत्त) ६३ अरुणसिंहं दणं
अरूणे अरूणाभे खलु अरूविणो जीवगणा, नाण अलं पासायखंभाणं, अलंबुसा मितकेसी पोंडरी अलंबुसा मिस्सकेसी अलर्स घसिरं सुविरं अलसो चिरं न हिंडइ
अलिअं सपि भणिअं
(म.प.) १९
(ज्ञाता.) ४ (आ.नि.) १००७ (विशे.) ३०१०
(विशे.) २५८५
अलियमुवघायजणवं अलूसए जो पच्छाभासी,
(महा.) ११५
(विशे.) ३२१३ (आ.नि.) १००९
(ओप.) १
(सू.नि.) १४९
(भ.प.) ७७
(आ.नि.) ९२४
(आ.नि.) ९२६
(च. प.) ११ (विशे.) ३२०२
(आ.नि.) ९२१
(च.प.) ५६
(आ.नि.) ९०८
(सम.) ९०
(म.प.) ५०७
(उपा.) ६
(उत्त.) १४२१ (द.वै.) ३०४ (स्था.) १०४ (जंबू.) ७५
(ओप.) भा. १३२ (ओघ.) भा. २२५
(भ.प.) १०१
(आ.नि.) ८८१
(सूत्र.) ६०५
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