Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 73
________________ जे मग्गेण गच्छंति, जोणिब्भूए बीए जीवो जे मग्गेण गच्छंति, (उत्त.) ८७४ जे समत्था० । न ते तुमं (उत्त.) ९४१ जोगतिगं पुव्वभणिअं (ओघ.) भा.१७३ जे माणिया सययं माणयंति, (द.वै.) ४५१ जे समत्था समुद्धत्तुं, (उत्त.) ९३७ जोगम्मि उ अविरइया (ओघ.) ६०१ जे मायरं च पियरं (सूत्र.) २४७ जेसिं आजीवतो अप्पा (इसि.) ४११ जोगा देवय तारग्ग (जंबू.) १०० जे मायरं च पियरं (सूत्र.) ४०३ जेसिं इमो अणुओगो पयरइ (नन्दी) ३३ जो गारवेण मत्तो निच्छइ (सं.प.) ३३ जे मायरं वा पियरं (सूत्र.) ३८५ जेसि जत्तो सूरो उएइ (विशे.) २७०१ जो गुज्झएहिं बालो (आ.नि.)७६५ जे मे जाणंति जिणा (म.प.) १२० जेसि जहिं सुहुप्पत्ती (इसि.) २२।१४ जोगुवओग कसाए (उ.नि.) ४२५ जे मे जाणंति जिणा (म.प.) २२२ जेसिं तं उवकप्पंति, (सूत्र.) ५१५ जोगुवओग कसाए लेसा (भग.) ९६ जे मे जाणंति जिणा (महा.) २० जेसि तु पमाएणं गच्छइ (उ.नि.) ५२७ जोगुवओगे वन्नरसमाई (भग.) ६८ जे य कंते पिए भोए, (द.वै.) ८ जेसिं तु विउला सिक्खा, (उत्त.) १९८ जोगे जोगे जिणसासणम्मि (ओघ.) २७८ जे य चंडे मिए थद्धे, (द.वै.) ४१८ जेसि पि अत्थि आया (दश.) ७४ जोगो जोगो जिणसासणम्मि (ओघ.) २७७ जे य दाणं पसंसंति, (सूत्र.) ५१६ जेसि व न पज्जते (विशे.) २४१४ जोगो जोयणमाय० (विशे.) ३४९८ जे य न अकित्तिजणए (ग.प.) ५५ जेसु अनाएसु तओ (विशे.) ४८५ जोगो देवय तारग्ग गोत्त (जंबू.) १२० जे य बुद्धा अतिकता, (सूत्र.) ५३२ जेसु जायंते कोधाती (इसि.) ३५।११ जोग्गं पायच्छितं तस्स (म.प.) १२६ जे य बुद्धा महाभागा, (सूत्र.) ४३३ जे सुयबुद्धिदिढे (विशे.) १२९ जोग्गा अजिण्ण मारुय (पि.नि.)८९ जे य वेयविऊ विप्पा,, (उत्त.) ९३६ जेहिं काले परिकंतं, (सूत्र.) २३९ जोग्गाजोग्गविसेसं (विशे.) ३३२ जे याबुद्धा महाभागा, (सूत्र.) ४३२ (सूत्र.) २४१ जोग्गा बद्धा बझंतगा (विशे.) २९६७ जे यावि अणायगे सिया, (सूत्र.) ११३ जेहिं सविया न दीसइ (ओघ.) ६९८ जो चितेइ सरीरे नत्थि (दश.) भा.२३ जे यावि चंडे मइइड्ढि- (द.वै.) ४३७ जे हुंति अभवसिद्धीया (उ.नि.) ५६० जो चूअरुक्खं तु मणा- (उ.नि.) २७५ जे यावि तसे पाणे (सम.) २१ जो अक्खरोवलंभो (विशे.) ४६६ जो चूयरुक्खं तु मणाहि- (आ.नि.) भा.२१२ जे यावि दोसं समुवेइ (उत्त.) ११६२ जोअणस्स उ जो तत्थ, (उत्त.) १४१७ जो चेव असयणविही (ओघ.) ६६५ जे यावि दोसं समुवेइ (उत्त.) ११७५ जो अत्थिकायधम्मं सुय- (प्रज्ञा.) १३१ जो चेव य हरिएसुं (ओघ.) भा.२०८ जे यावि दोसं समुवेइ (उत्त.) ११८८ जो अत्थिकायधम्म सुयधम्म (उत्त.) १०६९ जो चेव होइ मुक्खो सा (आचा.) ३२९ जे यावि दोसं समुवेइ (उत्त.) १२०१ जो अ विमाणुस्सेहो (दे.प.) १९८ जो जं पाविहिति पुणो (भग.) ८० जे यावि दोसं समुवेइ (उत्त.) १२०४ जो आरंभे वट्टइ चिअत्तकि- (म.प.) ९१ जो जइया तित्थयरो सो (आचा.) २७५ जे यावि दोसं समुवेइ (उत्त.) १२१७ जो इंदकेउं समलंकियं (आ.नि.) भा.२१० जो जत्तो वा जाओ नालोअइ (ग.प.) ११८ जे यावि पुट्ठा पलिउंचयंति- (सूत्र.) ५६० जो इंदकेउं समलंकियं तु, (उ.नि.) २७२ जो जत्थ विज्जती भावो (इसि.) - ४।२१ जे यावि बहुस्सुए सिया (सूत्र.) ९५ जोइ पइवं कुणइ व तहेव (पि.नि.) ३०४ जो जस्स उ आहारो, (उत्त.) १०९४ जे यावि बीओदगभोति (सूत्र.) ६७८ जोइसतणोसहीणं मेहरि- (पि.नि.) ८७ जो जस्स जयाऽवसरो (विशे.) २०६३ जे यावि भुंजंति तहप्पगारं (सूत्र.) ७०७ जोइसस्स य दाराई (चन्द्र.) १९ जो जस्सा विक्खंभो। (दे.प.) ९१ . जे यावि होइ निव्विज्जे, (उत्त.) ३१० जोइसस्स य दाराई (सूर्य.) १५ जो जह वट्टइ कालो। (विशे.) ८६३ जोइसियभवणवंतरदेवीओ (आ.नि.) भा.११७ जो जह व तह व लद्धं (ओघ.) ४४७ जे लक्खणं च सुविणं (उत्त.) २२० जो उप्पमायदोसेणं, (ग.प.) ३९ जो जहवायं न कुणई (पि.नि.) १८६ जे लक्खण-सुमिण (इसि.) २७५ (दश.) १७७ जो जाहे आवन्नो साहू (आ.नि.)१२४५ जे लभइ केवलो से (विशे.) ४७८ जोएण कम्मएणं आहारेई (सू.नि.) १७७ जो जिणदिढे भावे (उत्त.) १०६० जे लुम्भंति कामेसु (इसि.) २८३ जोएसु किलायंता सरीरसंक (म.प.) ३८ जो जिणदिवें भावे चउ- (प्रज्ञा.) १२२ जे वज्ज एए उ सदा उ (उत्त.) ५२९ जो कत्ताइ स जीवो (विशे.) १५७० जो जीवेवि न याणेइ, जे विग्गहीए अन्नायभासी, (सूत्र.) ५६२ जो कत्ताइ स जीवो (विशे.) १६७० जो जीवेवि वियाणेइ, भावावयाणइ, (द.वै.) ४४ जे विज्जमंतदोसा ते च्चिय (पि.नि.) ५०१ जो कन्नाइ धणेण य (आ.नि.)७६८ जो जीवो भविओ खलु- (सू.नि.) १४५ जेवि न वावज्जंती नियमा (ओघ.) ७५४ जो किर जहन्नजोगो (विशे.) ३०६३ जो जेण पगारेणं (विशे.) ९३२ जे विनवणाहिऽजोसिया, (सूत्र.) १४४ जो कुंचगावराहे पाणिदय- (म.प.) ४२६ जो जेण पत्तपुव्वो भावो (भग.) ७९ जेऽविय परिवेसंती, (पि.नि.) १२० जो कोंचगावराहे पाणिदया (आ.नि.)८६९ जो जोगओ अपरिणामओ (म.प.) १०८ जे संखया तुच्छपरप्पवादी, (उत्त.) १२७ । जो खलु तीसइवरिसो (आ.नि.) भा.२३५ जो जोयणसाहस्सो (विशे.) ५८९ जे संसयादिगम्मा (विशे.) ३२१ जोगं च समणधम्ममि, (द.वै.) ३७७ जो णवि वट्टइ रागे णवि . (आ.नि.)८०३ जे समत्था० । एयं मे संसयं (उत्त.) ९४४ जो गच्छंतम्मि विही (आ.नि.)१३८२ जोणिब्भूए बीए जीवो (आचा.) १३८ ( स. ૫૬

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