Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 210
________________ ३९३१ ६५३ ७७५ संखपुरे नयरम्मि, पसिद्धि १८३८ वेच्चंति वंचगा पव-यणस्स २९२९ ७२३० वेज्जसत्थेण से वणचिकिच्छा ११०७ ९४८८ वेयऽत्थं अमुणेतो, ४७८० १११ वेयपुराणवियाणग ४९५५ ७९३५ वेयमऽहिज्जंति इमे, ५७२५ २७८९ वेयाण पाढगो बंभ ६५५२ ६९१६ वेयाऽवगमनिमित्तं, ५७२२ ५९२५ वेयावच्चाऽऽइकारणेहि, ८८८६ वेयावच्चाऽऽईहिं, पुव्वं ४९१२ ३८२२ वेरगमग्गपडिलग्ग५३१८ वेग्गवं पि दुज्जण ४५२९ ६६४५ वेल व्व सागरुट्ठिया, ३७६७ २१६६ वेसमणसमाणधणो, ९२५१ ६६३५ वेसमणसेट्ठिगेहिणि९२३४ वोकंतबालभावो, ६६३२ ३८७ वोक्कंताऽणुत्तरदेव ८२९५ ५७६४ वोलंति वासरा मे, ४७५७ वोलीणाई कइवयदिणाई, १६४१ वोलीणाऽणागयवट्टमाण ८३६७ १४२१ वोलीणाऽणागयवट्टमाण ८४७६ वोलीणाऽणागयवट्टमाण ८४८४ ९२०० वोलीणाऽणागयवट्टमाण ८४९१ ८३५९ वोलेंतं पेच्छित्ता, तेण ६१७६ २९५२ वोसट्ठचत्तदेहो, निबद्ध २२२६ ६९६५ वोसिरियं सव्वं पि हु, ४१५७ ८४६८ ४५८२ ९४१ वियरसि य किलेसज्जियवियरसि य किलेसज्जियवियरित्तु चित्तकीलं, वियरेऊण य से पारिवियरेसु भावसारं, संसारवियलिदिया जडा मूअवियलियबलेण जरजज्जरेण, विरहे वि दंतरोगस्स, विरिए वि हु अइयारं, विलसइ य जहच्छंदं, तीए विलसइ य पवरभूसणविवरीयचिगिच्छाए, अच्चंतं विवरीयवित्तिधम्मा, आरंभविवरीयविहिवसेण य, विवरीयसिक्खतुरगेण, विवसत्ते एयस्स य, कहं विविहकरणप्पओगाऽविविहतवच्चरणाई, विविहपयारेहि मग्गिऊण, विविहाई आउहाई, पच्छण्णं विविहाई आउहाई, विविहविविहाऽभिग्गहसंगयविविहा विरूविगा वा, विसए अणुहविय पुणो, विसए सेविति जडा, अरईविसएहितो खंचिय, धरिओ विसएहिं विणा न सुहं, विसएहिं से न कज्जं, विसघाइ १ रसायण २ विसतुल्लविसयवंछाए, कीस विसपरिभावियधारा-करालविसमविसोरगविसविहु- . विसमा जइ होज्ज तणा, विसयं पडुच्च सा पुण, विसयजलं मोहकलं, विसयरणाऽवणिविणिवेसिया विसयविभागेण फुडं, विसयविसमुच्छिएणं, विसयव्वासंगेणं, नरसुरतिरिविसयसुहसण्णिवाओ-ब्भवा विसया अणत्थपंथो, विसया विसया अवमाणपयं, विसया विसयाऽभिसंगगरुओ, विसयामिसे पसत्तो, विसयाऽरण्णपवण्णो, अणवरविसया विऊण विसया, ११४१ ८६९६ विसयासावाओलि-जणियर७३९४ विसयाऽऽसासंदाणिय-चित्ता ६५६१ विसरिसचेटुंणिज्जामणेक्क५५२७ विसिट्ठमट्ठकट्ठसिट्ठयं ५६९६ विस्ससणिज्जो माय व्व, ४५८५ विहडियसंधिचयं वा, ३२८० विहरंतस्स य तं पुव्व५०६९ विहरंतो जयगुरुणा, ९१०२ विहरंतो य महप्पा, ६८९५ विहरइ गुरुणा सद्धि, ४९६७ विहरइ पुराऽऽगराऽऽइसु, ५९५८ विहरइ य जिणेण समं, ७९७० विहरित्ता बहुकालं, ५२४४ विहरित्था य जिणेणं, ९०४३ विहरेविणु पुरगामाऽऽग६३०८ विहलियदोसावेसो, अवहत्थि३५४ विहवम्मि उ अवहरिए, १३६९ विहिओभयपक्खपरिक्खणे ६८१८ विहिओ मणोरहा ७८७४ विहिओ वीवाहमहो, ४००७ विहियं च जणेणं से, ७३६० विहियं च बंभदत्तो ९४०३ विहियं च हीलणं ताण, ७२११ विहियं निदियदमणं, १९२४ विहियं पुरिसेहिं पुरो, १८३४ विहियं बद्धावणयं पत्थावे ९७८६ विहियं महंतमऽसुहं, ८८४८ विहिया अम्हे तुम्हेहि, १८३६ विहियाणुट्ठाणफलम्मि, २२१६ विहिया मए पइण्णा, जइ ३७९० विहिया मुणिणा सद्धम्म९८२४ विहिया से पडिवत्ती, ७३६१ विहिववियस्स वि सस्सस्स, ४४४९ विहुरेइ मम मणं जइ य, ७२१४ वीराऽऽसण-पलियंकं, २९१४ वीरियसज्झो जायइ, तवो ९५९० वीवाहिया न दुहिया, ६५३० वीसंभनिब्भरं पि हु, २५४१ वुच्छिण्णं जिणकप्पं, ७१८६ वुट्ठिपरगज्जिरहिएण, ७१८७ वुड्ढो वि तरुणसीलो, ७२४७ वुत्तो तिदंडिणा सो, ८८८४ वुत्तो य चारुदत्तो, ८९७६ वुत्तो सामंताऽऽईहिं, ७१९६ वेउब्वियआहारग-चारण ७१०३ ७०९८ ८६१६ ९२१२ ५७३७ शुक्रशोणितसंभूतं, ७५७७ श्रूयन्ते यानि तीर्थानि, ३८१८ ४०४६ २९७० १८२० ४४१६ ३९३० ४२०३ संकमइ दुव्विणीए, संकाऽऽइपंकपम्मुक्क संकामिऊण पुत्ते, ८११९ संकेइओ य राया, अवसरियव्वं ७१६१ संखउरम्मि पुरवरे, अहेसि ३५७९ संखपुरे नयरम्मि, पसिद्धि स ८०६० ८०८० १६१७ ९३२२ २२२३ १३१४ ३३९४ ४७६३ ૧૯૩

Loading...

Page Navigation
1 ... 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258