Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 126
________________ संसत्तभत्तपाणेसु वावि सज्झायकरणं कुज्जा, संसत्तभत्तपाणेसु वावि (ओघ.) ७२१ सउणी जह पंसु गुंडिया, (सूत्र.) १०३ सच्चं सव्वानुगओ (विशे.) १४९० संसत्तमसंसत्ता छउमत्थाणं (ओघ.) २६१ सए गेहे पलित्तम्मि किं (इसि.) ३५।१४ सच्चप्पवायपुव्वं (सम.) ९ संसत्तसत्तगोरस० (विशे.) २५७८ स एव भव्वसत्ताणं, चक्खु- (ग.प.) २६ सच्चप्पवायपुव्वा निव्बूढा (दश.) १७ संसत्तेण य दव्वेण लित्त- (पि.नि.) ५७६ सए सए उवट्ठाणे, सिद्धि- (सूत्र.) ७३ सच्चमयं देसाइसु (विशे.) ८८९ संसप्पगा य जे पाणा ___ (आ.) २५ सएहिं परियाएहि, (सूत्र.) ६८ सच्चसोअप्पगडा, कम्मा (उत्त.) ३९६ संसयं खलु सो कुणइ, (उत्त.) २४८ सओवसंता अममा (द.वै.) २७७ सच्चा तहेव मोसा य, (उत्त.) ९२२ संसयविवज्जया (विशे.) ६२ सकथं वक्कलं ठाणं (पुष्फि.)२ सच्चा समा० । वयं (उत्त.) ९२४ संसरिअ थावरो रायगिहे (आ.नि.)४४३ सकम्मसेसेण पुराकएणं, (उत्त.) ४२४ सच्चा हिया सयामिह (विशे.) ३७६ संसारं छेत्तुमणो कम्मं (आचा.) १९४ स किमोग्गहोंत्ति भण्णइ (विशे.) २८१ सच्चित्तपुढविकाए सच्चित्तो (पि.नि.) ५४२ संसारचक्कवालंमि सव्वेऽविय (आ.प.) ४९ सकुणी संकुप्पघातं च (इसि.) १८०२ सच्चित्तपुढविलित्तं लेलु (पि.नि.) ३४९ संसारचक्कवाले सव्वे (महा.) ५२ सक्कता पागता चेव दुहा (स्था.) ७२ सच्चित्तमक्खियम्मि उ (पि.नि.)५३६ संसारचक्कवाले सव्वेऽवि (म.प.) २४७ सक्कपसंसा गुणगाहि (विशे.) १४७७ सच्चित्तमीसएसु दुविहं (पि.नि.)५४० संसारत्था उ जे जीवा, (उत्त.) १४२३ सक्कया पायया चेव (अनु.) ५३ सच्चित्ते अच्चित्ते (पि.नि.) ५६३ संसारत्था य सिद्धा य, (उत्त.) १४०३ सक्का तमो निवारेतुं (इसि.) ३६८ सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग (पि.नि.) ५५८ संसारत्था य सिद्धा य, (उत्त.) १६०२ सक्कारो सम्माणो भिक्खग्ग- (ओघ.) १५६ सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग (पि.नि.) ६०५ संसारपडिक्कमणं चउ- (आ.नि.)१२५१ सक्का वण्ही णिवारेतुं (इसि.) ३१११ सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग (पि.नि.) ६२७ संसारपारगमणे, तमस्स (उ.नि.) ४५६ सक्का वण्ही णिवारेतुं (इसि.) ३६५ सच्चित्ते पव्वावण (पि.नि.) ५१ संसारबंधणाणि य रागद्दोस- (म.प.) ३० सक्का सहेउं आसाइ (द.वै.) ४४४ सच्चित्तो अच्चित्तो (विशे.) ८९६ संसारमावन्न परस्स अट्ठा, (उत्त.) ११८ सक्किरियं किमरूवं (विशे.) ३१३८ सच्चित्तो पव्वावण पंथुव- (ओघ.) ३७० संसारमूलंबीयं मिच्छत्तं (भ.प.) ५९ सक्किरियम्मिवि नाणे (विशे.) ११७६ सच्चिय सुगईण गई (विशे.) १०५२ संसाररंगमज्झे धिइबल- (म.प.) ३१० सक्किरियाविरहाओ (विशे.) ११४४ सच्छंदगतिपयारा (इसि.) ६९ संसाररंगमज्झे धिइबल- (महा.) १२९ सक्कीसाणा पढम, दुच्चं । (आ.नि.)४८ सच्छंदचारिणो पुण (विशे.) १८६८ संसारसंतई चित्ता देहिणं (इसि.) २४।२८ सक्कीसाणा पढमं दोच्चं (जीवा.) ८५ सच्छंदयारिं दुस्सीलं, (ग.प.) १० संसारसंतईमूलं पुण्णं (इसि.) ९५ सक्कीसाणा पढम (विशे.) ६९५ सच्छत्ता सपडागा (सम.) ११३ संसारसमावण्णे य छव्विहे- (म.प.) १७ सक्को अ तस्समक्खं (आ.नि.)भा.७७ स जणेहिं तत्थ पुच्छिसु (आ.) ७५ संसारसागराओ उच्छुड्डो (विशे.) ११४७ सक्को अ देवराया सभा- (आ.नि.)४९८ स जिणोजिणाई (विशे.) ३२१९ संसारसागराओ उब्बुड्डो मा (आ.नि.)९७ सक्को वंसट्ठवणे इक्खु (आ.नि.)१९० सज्जं च अग्गजीहाए (अनु.) २६ संसारसागराओ कुम्मो (विशे.) ११४८ सक्खं खु दीसइ तवोविसेसो, (उत्त.) ३७७ सज्जं तिगिच्छमाणो (विशे.) ११०८ संसारस्स उ मूलं कम्मं (आचा.) १८९ सक्खं चिय संथारो (विशे.) २३०८ सज्जं तु अग्गजिब्भाते (स्था.) ४६ संसाराअडवीए मिच्छत्त-, (आ.नि.)९०९ सखुड्डगविअत्ताणं, (द.वै.) २१५ सज्ज रखइ मऊरो (अनु.) २८ संसाराओ आलोयणाउ (दश.) भा.४३ सगडुद्धीसंठिआओ महा- (आचा.)४६ सज्जं रखइ मुअंगो (अनु.) ३० संसारे दुक्खमूलं तु (इसि.) १५/६ सगरोऽवि सागरंतं, (उत्त.) ५६४ सज्जं रवति मयूरो (स्था.) ४८ संसारे सव्वजीवाणं (इसि.) २४६ सगाहं सरं बुद्धं विसं (इसि.) ४५।४४ सज्ज रवति मूइंगो (स्था.) ५० संसोधण संसमणं नियाण- (पि.नि.) ४५९ स गुणिम्मि नमोकारो (विशे.) २९०७ सज्जकसायाईओ (विशे.) २९८२ संसोहणं च वमणं च (आ.) ९६ सग्गहनिब्बुड एवं सूराई (आ.नि.)१३४३ सज्जीवणियाऽऽयारो (विशे.) १५०७ संहारसंभवाओ (विशे.) ४६ सग्गाम परग्गामे दुविहा (पि.नि.) ४२८ सज्जीवमूलुत्तर (विशे.) ३३१३ संहारसंभवाओ (विशे.) ३१६४ सग्गाम परग्गामे सदेस (पि.नि.) ३३० सज्जेण लभति वित्ति (स्था.) ५२ संहिया य पदं चेव (अनु.) १३५ सग्गामेऽविय दुविहं (पि.नि.) ३३३ सज्जेण लहई वित्ति, कयं (अनु.) ३२ सइ काले चरे भिक्खू, (द.वै.) १६५ सग्गेसु य नरगेसु य (म.प.) ५९२ सज्जे रिसभे गंधारे (स्था.) ४५ सइ संखाईयत्ते (विशे.) २७६९ सघणमसंबद्धंपिहु (विशे.) ४८१ सज्जे रिसहे गंधारे, मज्झिमे (अनु.) २५ सउणि चउप्पयं नागं (सू.नि.) १२ सचरित्तपच्छयावो निंदा (आ.नि.)१०४९ सज्झमसज्झं कज्जं सझं (पि.नि.) २६२ सउणि चउप्पयं नागं, (उ.नि.) १९९ सचित्ताऽऽहारट्ठी केवति (प्रज्ञा.) २१८ सज्झाऽऽमयहेऊओ (विशे.) २०५७ सउणिचउप्पयनागं (विशे.) ३३५० सच्चं असच्चं इति चिंतयंता, (सूत्र.) ५३७ सज्झायं काऊणं पढमबिति- (ओघ.) ६६४ सउणि चउप्पय नागं (गणि.) ४२ सच्चं चेदमकंपिय! (विशे.) १९०१ सज्झायकरणं कुज्जा, (गणि.) ३९ जालना ૧૦૯

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