Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________
सद्दाइमयं न लहइ
समावयंता वयणाभिधाया, सद्दाइमयं न लहइ (विशे.) २८३५ सप्पं सयणे जणणी (आ.नि.)१०९१ समणेणं सावएण य (अनु.) ३ सद्दा(ड्ढा) इएसु साहू (पि.नि.) २२४ सप्पच्चक्ख दुगुंछा (विशे.) ३५७५ समणेण कहेयव्वा (दश.) २१३ सद्दाणि सोच्चा अदु भेरवाणि,(सूत्र.) ५८५ सप्पी जहा अंडउडं, (सम.) ३८ समणेण सावएण य जाओ (म.प.) ५७१ सद्दाणुगासाणुगए (उत्त.) ११७७ सप्पोऽवि अ कुललेणं (उ.नि.) ४६८ समणे माहणि किवणे (पि.नि.)४४३ सद्दाणुरत्तस्स नर- (उत्त.) ११८२ सप्पोऽवि कुललवसगओ (उ.नि.) ४६९ समणो अहं संजउ बंभयारी, (उत्त.) ३४९ सद्दाणुवाएण परिग्गहेण (उत्त.) ११७८ सप्काए सज्झाए उव्वे- (प्रज्ञा.) ९६ समणो उ वणिव्व (आ.नि.)१४०५ सद्दादओ रइफला (विशे.) १७६८ सब्भावनिव्विगारं उवसंत- (अनु.) ८१ समणोत्ति अहं पढमं (आ.प.) ६२ सद्दा रूवा गंधा रसा य (स्था.) १२ सब्भाववक्कविवसं (इसि.) ३३।१२ समणो मित्ति य पढमं (महा.) १०८ सद्दा विविहा भवंति लोए, (उत्त.) ४८९ सब्भावासब्भावो (विशे.) २२३२ समणोऽसि संजओ असि, (उ.नि.) १४० सद्दुज्जुसुया पज्जाय (विशे.) ७७ सब्भावे दुब्बलं जाणे (इसि.) ३८।२८ समणोऽहंतिअ पढमं (म.प.) २९७ सद्दे अतित्ते य परि- (उत्त.) ११७९ सब्भूयमिणं गिण्हसु (विशे.) १८३१ समभावम्मि ठियप्पा (आ.नि.)१५०३ सद्देत्ति भणइ वत्ता (विशे.) २५३ सभए वासत्ताणं अच्चुदए (ओघ.) ३१ समभूमेवि अइभरो
(आ.नि.) मा.२२६ सद्दे फासे अहियासमाणे (आ.) ३ सभावे सति कंदस्स (इसि.) १५७ सममद्धसमं चेव सव्व- (स्था.) ७१ सद्दे रुवे गंधे रसे (म.प.) ४६ सभावे सति कंदस्स (इसि.) १५९ समयं तत्थुवेहाए अप्पाणं (आ.) १० सद्दे रूवे गंधे रसे (म.प.) १७४ सभावे सति पावस्स (इसि.) १५।८ समयं नक्खत्ता जोगं (जंबू.) ८५ सद्दे रूवे य गंधे य, (उत्त.) ५०१ समं अद्धसमं चेव, सव्वत्थ (अनु.) ५२ समयं वकंताणं समयं (प्रज्ञा.) ९९ सद्दे विरत्तो मणुओ (उत्त.) १९८४ समं च संथवं थीहि, (उत्त.) ४९४ समयमणेगग्गहणे (विशे.) २४३९ सद्देसु जो गेहिमुवेइ (उत्त.) ११७४ सम अन्नरम्मि संजमे, (सूत्र.) ११४ । समयमणेगग्गहणे (विशे.) २४४० सद्देसु य भद्दयपावएसु (ज्ञाता.) ४८ समईयं पडिक्कमए (विशे.) ३५५७ समयाइठिई असंखा (विशे.) १३९६ सद्देसु य रूवेसु य गंधेसु (दश.) २९५ समएवि संतई पप्प, एवमेव (उत्त.) १३६४ समयाइसुहुमया (विशे.) २४३३ सद्देसु रुवेसु असज्जमाणो, (सूत्र.) ५५६ समए समए जो जो (विशे.) २३३० समयाए समणो होइ, (उत्त.) ९६० सद्दो ता दव्वसुयं (विशे.) १३३ समओ जो सिद्धंतो (विशे.) ९५२ समयाऽऽवलिअ मुहुत्ता (अनु.) १०३ सद्दोत्ति व सुयभमिय (विशे.) २८७ समकडगाओ अडवी (उ.नि.) ३४५ समयावलिअमुहुत्ता (आ.नि.) भा.१९८ सद्दो समाणलिंग (विशे.) १५२३ समगं णक्खत्ता जोयं (चन्द्र.) २९ समयाऽऽवलियमुहुत्ता (विशे.) २०३६ सद्धं णगरि किच्चा, (उत्त.) २४४ समगं णक्खत्ता जोयं (सूर्य.) २५ समयावलिय मुहुत्ता (आ.नि.)६६३ सद्धाधितिउट्ठाणुच्छाह- (सूर्य.) १०० समगं नक्खत्ता जोगं (स्था.) ३५ समया विवज्जओ वा (विशे.) १७०८ सद्धाभंगोऽणुग्गाहियम्मि (ओघ.) भा.११९ समणंपि दट्ठदासीणं (सूत्र.) २६१ समया समत्त पसत्थ संति (आ.नि.)१०३३ स नयइ तेण तहिं वा (विशे.) ९१४ समणं माहणं वावि, (द.वै.) १६९ समया सव्वभूएसुं, सत्तु- (उत्त.) ६०७ सन्नाइगमण वियडवेरग्गा (उ.नि.) १०९ समणं वंदिज्ज मेहावी, (आ.नि.)११०६ समये समये गिण्हइ (विशे.) २४२ सन्नाकसायइंदियसमुग्धाया- (भग.) ९१ समणं संजयं दंतं, (उत्त.) ७५ समयेसु मणोदव्वाइ (विशे.) २३८ सन्नासु आसवेसु अ अट्टे . (म.प.) १९६ समणं संजयं दंतं, सुमणं (ओघ.) भा.८६ समरेसु अगारेसुं, (उत्त.) २६ सन्निदिय अणुबंधे संवेहा- (भग.) ६९ समणं संजयं दंतं, सुमणं (ओघ.) भा.११० समवसरणेऽवि छक्कं (सू.नि.) ११६ सन्निहिं च न कुव्विज्जा, (उत्त.) १७५ समणं समणि सावग साविय (ओघ.) ४३३ समवाइ असमवाइ (विशे.) २०९९ सन्निहिए समाणे धाइ (दे.प.) ७१ समणकडाहाकम्मं समणाणं (पि.नि.) २६९ समवाइ असमवाई (आ.नि.)७३८ सन्निहियाण वडारो (आ.नि.)१३८४ समणणुकंपनिमित्तं (दश.) ११० समवाइ कारणं तंतवो (विशे.) २१०६ सपडिक्कमणो धम्मो (आ.नि.)१२४४ समणस्स उ निक्खेवो (दश.) १५३ समवाओ गोट्ठीणं गामाईणं (आ.नि.) भा.२० सपदेसाऽऽहारग भविय (भग.) ४१ समणाणं सउणाणं (ओघ.) १७३ समस्सिता गिरि मेरूं (इसि.) ३३।१६ सपरक्कममाएसो जह (आचा.) २६४ समणा तिदंडविरया (आ.नि.)३५३ समहिंदा कप्पसुरा राया (आ.नि.) भा.११९ सपरप्पच्चायणओ (विशे.) १७१ समणा मु एगे वदमाणा, (उत्त.) २१४ समाए पेहाए परिव्वयंतो, (द.वै.) ९ सपरिक्कमे य अपरिक्कमए (आचा.) २६३ समणिद्धयाए बंधो न (प्रज्ञा.) १९९ समागया बहू तत्थ, (उत्त.) ८३२ सपरिग्गहा य सारंभा, (सूत्र.) ७८ समणिपवेसि निसीहिअ (ओघ.) ७७ समारभंते वणिया भूयगामं, (सूत्र.) ६८९ स पुज्जसत्थे सुविनीयसंसए, (उत्त.) ४७ समणुण्णेसु पवेसो बाहिं (ओघ.) ४३४ समालवेज्जा पडिपुन्नभासी, (सूत्र.) ६०३ स पुव्वमेवं ण लभेज्ज (उत्त.) १२३ समणे चउक्कनिक्खेवओ (उ.नि.) ३८९ समावण्णाण संसारे, (उत्त.) ९६ सप्पं च तरुवरम्मी काउं (आ.नि.) भा.७५ समणेणं सावएण य (विशे.) ८७३ समावयंता वयणाभिधाया, (द.वै.) ४४६
JE LETTERETETTELEEEEEEEEEEE
अपत्या
૧૧૧
Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258