Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 122
________________ विभूसावतिअं अं विभूसावत्तिअं अं, विभूसावत्तिअं भिक्खू, विमलतनुबुद्धि जणणी विमलमणंत धम्मो विमलमणंतय धम्मं सन्ति विमलीकयऽम्ह चक्खू विमले उत्तरे अरहा विम्हयकरो अपुव्वो वियणधमणाभिधारण विययपक्खी य बोद्धव्वा, वियरिज्जइ खज्जइ भुजइ वियल अविसुद्ध सा वियसिय अरविंदकरा वियाणिया दुक्खविवर्ण विरई अबंभचेरस्स, विरए गामधम्मेि विरए गामधम्मेहि " विरज्जमाणस्स य इंदियत्था विरयाविरईसंवुड विरयाविरई संवुडमसंवुडे विरया वीरा समुट्ठिया, विरसं आरसमाणो कत्थइ विरिए छक्कं दव्वे सच्चि - विरियं गुरुलहुयाणं विरियं परक्कमो किर विलग्गाओ निमित्ताओ, विलमे वितत विवत्थे विवत्ती अविणीयस्स, विवत्ती बंभचेरस्सा, पाणाणं विवरी अवत्थुगहने विवाय च उदीरेड, विवि (ग) कम्मणो विवित्तलयणाई भइन्ज विवित्तसिज्जासणजंतियाणं विवित्ता व भवे सिज्जा, विविहं विसेसओ वा विविहगुणतवोर य विविध विसेसओ वा विविहाहि व पडिमाहि विविहेहि मंगले ह विसं तु पीयं जह कालकूडे विसं वा अमतं वा वि विसए अवयक्खता पडंति विसएस अरज्जतो, रज्जतो * (द.वै.) २७५ (द.वै.) २७४ विसएस मणुत्रेसु पेमं विसओ व उवग्धाए (आ.नि.) १०८६ विसघाइयपिसियासी मरइ (आ.नि.) ३७१ (नन्दी) १९ विसधा रसायण मंगलत्य विसतिणिसवायवंजुलविसनंदी य सुबन्धू विसप्पे सव्वओधारे, विसमं पवालिण विसमं पवालिणो परिणविसमं पवालिणो परिणविसमं पवालिणो परिणमति विसमं स करेड़ सम विसम पलोदृण आया विसमा अज्ज तुलाओ विसमेसु य पसं पव्वेसुं, विसमेसु य वासेसु हुं ति विसयग्गहणसमत्यं (आ.) ९७ (उत्त.) १२३३ विसयजलं मोहकलं (विशे.) २७८६ विसयपरिमाणमनियय (पि.नि.) ४९३ (सम.) १६७ (अनु.) ६८ ( आचा.) १६९ (उत्त.) १५४३ (उत्त) ३५० (विशे.) ४१२ (भग.) ११२ (उत्त) ६८० (उत्त) ६१० (सूत्र) ५२९ (आ.नि.) ८६३ (आ.नि.) ८६३ (सूत्र) १०० (म.प.) ५६३ (सू.नि.) ९१ (विशे.) ६६७ (विशे.) १०४९ व (गणि. ) ८१ (सूर्य.) ९६ (द.वै.) ४३६ (द.वै.) २६६ (विशे.) ३३० (उत्त) ५२० (उत्त.) १७४ (उत्त) ७६२ ७६२ (उत्त.) ११४९ (द.वै.) ३८७ (विशे.) ३५७९ (द.वै.) ४५७ (विशे.) १४२१ (म.प.) २८१ (म.प.) ५८१ (उत्त) ७२४ (इसि.) ४।२२ (भ.प.) १४९ (उत्त) ५९१ विसयमसंपत्तस्स विसयम्मि पंचगंगीवि विसयसुहं दुक्खं चिय विसयहनि अत्ताणं विसयसुहेसु पसतं अबुविसयाविक्खो निव विसरिसदंसणजुत्ता विसालिसेहिं सीलेहि, विसोहियं ते अणुकाहयंते विस्मरं पुण केरिसी ? विस्सभूई पव्वयए विस्सरसरं रसंतोअह विस्ससणिज्जो माया व विहगाई चलनगई विमागासं भण्णइ विहवा पउत्थवइया पयारविहिगहिअं विहितं विहिमहिअं विहिभुतं विहिणा जो उ चोएइ, विहिपुच्छाए पवेसो विहिपुच्छाए सण्णी विहियं सुएच्चिय विहिसंठाण पमाणं वीतमोहस्स दंतस्स वीयभय देवदत्ता ૧૦૫ वेआ अधीआ न भवंति (आ.नि.) २२१ (आ.नि.)४७१ (चन्द्र.) १०३ (सूर्य.) १०३ (ग. प.) ६ (विशे.) २१७२ (विशे.) २१४७ (आ.नि.)७५२ वीरं अरिनेमिं पासं वीरवरस्स भगवओ नावावीरवरस्स भगवतो वीरवरस्स भगवतो वीरिएणं तु जीवस्स, वीरियंति बलं जीवस्स वीरियभावे य तहा वीरियभावे य तहा लक्खवीरियविव्वणिड्ढी | वीरियसजोगयाए संचारा वीरो अरिदुनेमी पासो वीरो दव्वं खेत्तं वीरो सिंगारो अन्धुओ वीसं उक्कोसपर वट्टंति वीसं तु णवरि णेम्मं (द.वै.) ३९३ (विशे.) ३३८९ (पि.नि.) २७४ (दश) ३५२ (दश.) प्र. २ (सम.) १३१ (उत्त.) १३४६ (सूर्य.) २७ (जंबू.) ८७ (चन्द्र) ३१ (स्था.) ३७ (विशे.) ३०४६ (ओघ.) भा. १७९ (त.प.) ५२ (ओघ) ७३७ (त.प.) ५३ | वीसं तु (सई) सागराई (विशे.) २९९६ वीसंभनिव्भरंपि उवचार (भ.प.) १३० वीसज्जिऊण आसं (विशे.) २४६ (विशे.) २३७ (आ.) प्र. १ (विशे.) २००६ ( आ.नि.) १००४ (दश.) १६४ (भ.प.) १४७ (पि.नि.) १४७ (उत्त.) १०८ (सूत्र) ५५९ (स्था.) ७४ (सम.) १२९ वीसमंतो इमं चिंते, हियम वीसमयरोवमाणं वीसमिऊण नियंठो दोहि वीसरसद्दरुअंते अव्वत्तवीससकरणमणाई वीसा दो वाससया वीसा दो वाससया तइया वीसुं न सव्वहच्चिय वीसुं वसहीइ ठिओ वुच्छं बलाबलविहिं वुच्छिद सिणेहमप्पणो बुज्झमाणाण पाणाणं, बुद्धेऽवि दोणमेहे (त.प.) २६ (भ.प.) ९९ बुणं तरुणार्ण (दश.) १२० वुड्ढा निरोवयारा (दश.) ११८ वुड्डि च हाणि च ससीव (ओघ.) भा. २२२ वुड्ढीए चिय वुड्ढी (आ.नि.) १६११ बुड्ढी वा हाणी वा (ओघ.) ५९३ वुड्डी वा हाणी वा (ग. प.) २५ वुड्ढी वा हाणी वाऽणंता (ओघ.) ८२ वुड्ढोऽणुकंपणिज्जो(ओघ.) भा.५० वुड्ढो बावीसुत्तरसय (विशे.) २६०२ वुसिए य विगयगेहि(प्रज्ञा) २१४ वैटाई सुरभि जलथलयं (इसि.) ४५/२४ वेंटल पुटो न थाणे (उ.नि.) ९४ | वेआ अधीआ न भवंति (दश.) २०० (आ.नि.) १५१३ (आ.नि.) २२६ (विशे.) १५४५ (अनु.) ६३ (उ.नि.) ८२ (इ.नि.) ११ (उस.) १५८५ (भ.प.) ११८ (उ.नि.) ३९९ (द.वै.) १५३ (विशे.) १९८७ (आ.नि.) १२४ (आ.नि.) भा. २२७ (आ.नि.) भा. १५४ (विशे.) २३८९ (आ.नि.) भा. १३१ (विशे.) १९६४ (विशे.) २५१२ (गणि.) १ (उत्त.) २९९ (सूत्र.) ५१९ (विशे.) १४५८ (ग. प.) ११६ (ओघ.) भा. ११३ (उ.नि.) २७३ (विशे.) ७३३ (विशे.) ७२८ (आ.नि.)५९ (विशे.) ७२९ (ओघ.) भा.६९ (विशे.) २०७१ (सूत्र.) ८६ (आ.नि.) ५४६ (ओघ.) ४२५ (उत्त) ४३४

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