Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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दिक्खं मइलेमाणा मोह
दुविहं तु निरवसेसं दिक्खं मइलेमाणा मोह- (म.प.) ७७ दीवदिसाउदहीणं विज्जु- (दे.प.) २६ दुज्जए कामभोगे य, निच्चसो(उत्त.) ५०५ दिक्खा व सव्वनासे . (विशे.) २४०८ दीवसिहसरिसवण्णित्थ (दे.प.) २४५ दुट्ठपसुसाणसावयचिक्खल- (ओघ.) ७४०
(उत्त.) ५० दीवाइपयासं पुण (विशे.) ११७२ दुण्हं आयरियाणं (म.प.) ३२९ दिज्जते पडिसेहो कज्जे (पि.नि.) ३११ दीवादिसाउदहीणं (सम.) ६१ दुण्हं तु भुंजमाणाणं, (द.वै.) ९६ दिज्जाहि भाणपूरंति- (ओघ.) ६८५ दीवाभिग्गहधारी दूसहणवि- (म.प.) ४४१ दुण्हं तु भुंजमाणाणं, (द.वै.) ९७ दिटुं खीरं खीरं एगटुं (पि.नि.) १३१ दीवे अ इइ के वुत्ते ?, (उत्त.) ८८० दुण्डंपि रत्तसुक्काणं, (त.प.) २३ दिटुंतसुद्धि एसा (दश.) ११६ दीवे पातो पयंगस्स (इसि.) २१७ दुईता इंदिया पंच (इसि.) १६३ दिटुंतो अरहंता अणगारा (दश.) ९० दीवोदहिरण्णेसु य (म.प.) ५४९ दुइंता इंदिया पंच (इसि.) २९।१३ दिटुं मियं असंदिद्ध, (द.वै.) ३८३ दीसंति कासइ फुडं (विशे.) २२६ दुईते इंदिए पंच राग (इसि.) १६४ ट्ठि असंभम पिंडो (ओघ.) भा.५७ दीसंति बहवे लोए, पासबद्धा (उत्त.) ८५३ दुइंतेहिदिएहऽप्पा (इसि.) २९।१४ दिट्ठमदिटुं च तहा, (आ.नि.)१२१० दीसंति समियायारा (सूत्र.) ६६६ दुद्धदहीविगईओ, आहारइ (उत्त.) ५२३ दिट्ठमदिट्ठा दुविहा . (ओघ.) ९६ दीसइ य विसमफलदो (विशे.) ३२५२ दुन्नि य रयणी माहिदफलं (उ.नि.) १४८ दिट्ठा व समोसरणे (ओघ.) ९७ दीसइ सामग्गिमयं (विशे.) १७३२ दुन्नि व तिन्नि व चत्तारि (उ.नि.) २२७ दिट्ठी दंसण णाणा सन्न (भग.) १८ । दीसइ सामग्गिमयं (विशे.) १७३८ दुन्निवि नमी विदेहा (उ.नि.) २६७ दिढे सुएऽणुभूएं कम्माण (आ.नि.)८४४ दीहं वा हस्सं वा जं (प्रज्ञा.) १६१ दुपएसाइ दुरुत्तर एगपएसा (आचा.) ४४ दिण्णा उ ताउ पंचवि (पि.नि.) २२३ दीहं वा हस्सं वा जं (आ.नि.)९७० दुपयचउप्पयधणधण्ण- (दश.) ३३९ दिण्णे गुरूहि तेर्सि (ओघ.) ५२५ दीहं वा हस्सं वा जं (दे.प.) २८३ दुष्पचिण्णं सपेहाए (इसि.) ४।१० दिण्णे य वराहे पुण (सम.) ११५ दीहं वा हस्सं वा जं चरिम- (औप.) १२ दुप्पणिहिअजोगी पुण (दश.) ३०७ दित्तादित्ता तिरिआ (ओघ.) ३०३ दीहकालरयं जंतु० (विशे.) ३०२९ दुप्पणिहिए य पिहिऊण (म.प.) ३१ दिन्ने कोडिन्ने या सेवाले (उ.नि.) २९६ दीहकालरयं जंतु कम्मं (आ.नि.)९५३ दुप्परिच्चया इमे कामा, (उत्त.) २१३ दियराउऽपच्चवाए य जाणई (ओघ.) भा.७५ दीहाउया दित्तिमंत्ता (उत्त.) १५४ दुब्भासिएण इक्केण मरीई (आ.नि.)४३८ दिवस तिही नक्खत्ता करण- (गणि.) २ दुओणयं अहाजायं एयं (म.प.) ६ दुभासियाए भासाए (इसि.) ३३।२ दिवसस्स चउरो भागे, (उत्त.) ९८४ दुओणयं जहाजायं, (सम.) ७ दुभासियाए भासाए (इसि.) ३३।४ दिवसस्स पोरिसीणं चउण्हंपि (उत्त.) १०९९ दुक्करं खलु भो ! णिच्चं, (उत्त.) ७६ दुमखंधे बहिरंतेसु, (गणि.) ५९ दिवसाओ तिही बलिओ (गणि.) ७९ दुक्कराई करित्ताणं, (द.वै.) ३० दुमपत्तए पंडुयए जहा, (उत्त.) २७३ दिवसा राइ वुत्ता य (सूर्य.) १४ दुक्खं खवेति जुत्तप्पा (इसि.) ९।२० दुमपत्तेणोवम्मं अहाठिईए (उ.नि.) २८३ दिवसा राई वुत्ता य (चन्द्र.) १८ दुक्खं जरा य मच्चू य (इसि.) १५२३ दुमपुप्फिआइया खलु दस (दश.) १९ दिव्वं सो किसिं किसेज्जा (इसि.) २६।८ दुक्खं हयं जस्स न होइ (उत्त.) ११४५ दुमपुप्फियाइ निज्जुत्ति- (दश.) १५१ दिव्वमाणुसतेरिच्छे,
(भ.प.) १३९ दुमपुप्फिया य आहारएसणा (दश.) ३७ दिव्वमाणुस्सतेरिच्छं, । (उत्त.) प्र. ३ दुक्खमूलं च संसारे (इसि.) २८ दुमयाउनामगोयं वेयंतो ___(उ.नि.) २८२ दिव्वे य जे उवसग्गे, (उत्त.) ११२१ दुक्खमूलं पुरा किच्चा (इसि.) १५।१३ दुमा य पायवा रुक्खा (दश.) ३५ दिव्वो मणुस्सघोसो तुरिय- (आ.) १२९ दुक्खाउए उदिन्ने आहारे (भग.) ६ दुरूहमाणी पवडिज्जा, (द.वै.) १२७ - दिव्वो मणूसघोसो (आ.नि.) भा.१०८ दुक्खा परिवित्तसंति (इसि.) २२ दुलहपि जाणमाणो (विशे.) ११४९ दिसा अवरदक्खिणा (ओघ.) प्र./११ दुक्खी मोहे पुणो पुणो, (सूत्र.) १५४ दुलहे खलु माणुसे (उत्त.) २७६ दिसि गइ इंदिय काए (प्रज्ञा.) १८० दुग तिग चउरो पंच व (आ.नि.)१४४५ दुल्लभदव्वं व सिआ घयाइ (ओघ.) ६१५ दिसिदाह छिन्नमूलो उक्क (आ.नि.)१३३५ दुगपडिवत्ती वेउव्विय० ।। (विशे.) २७३७ दुल्लभदव्वं व सिया घयाइ (ओघ.) ७२० दिसिपवणगामसूरियछायाए (ओघ.) ३१७ दुगमाई सामण्णे जइ (पि.नि.) ६११ दुल्लहदव्वं व सिया घयाइ । (ओघ.) भा.२३० दिसि विट्ठियस्स पढमो (विशे.) ३८६ दुगसंजोगम्मि फलं (विशे.) ११६६ दुल्लहा उ मुहादाई, (द.वै.) १५९ दिसि संवुडअणगारे आयड्डी (भग.) ६२ दुगुणो चउग्गुणो (ओघ.) ७२२ दुविद्दोवक्कमकालो (विशे.) २०४० दिसोदिसंडणंतजिणेण (आ.) १४१ दुग्गइफलवादीणं तिण्णि (सू.नि.) १११ दुविया य होंति जीवा (दश.) भा.९ दीवदिसाअग्गीणं थणिय- (दे.प.) ४९ दुग्गओ वा पओएणं, (द.वै.) ४३४ दुविहं खवेऊण य पुनपावं- (उत्त.) ७६४ दीवदिसाउदहीणं (सम.) ६९ । दुग्गाइतोसियनिवो (आ.नि.)१३२८ दुविहं च मक्खियं (पि.नि.) ५३१ दीवदिसाउदहीणं विज्जु- (प्रज्ञा.) १४० दुग्गासे तं समइच्छिउं व (पि.नि.) भा.२४ दुविहं च होइ भावे (आ.नि.)७३९ दीवदिसाउदहीणं विज्जु- (भग.) ११ दुग्गो भवकंतारे भममाणेहि- (म.प.) ६३२ दुविहं तु निरवसेसं (विशे.) ३४८९
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