Book Title: Agam Padyanam Akaradikramen Anukramanika 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 74
________________ जोणिसयसहस्सेसु य असई झट ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा जोणिसयसहस्सेसु य असई (म.प.) ५९१ जोयणसहस्समेगं ओगाहि- (दे.प.) ३२ जोणीमुहनिग्गच्छंतेणं. (म.प.) ३८६ जो य तवो अणुचिण्णो (आ.नि.)५२७ जोणीमुहनिप्फिडिओ (त.प.) ८६ जो य पओगं जुंजइ हिंसत्थं (ओघ.) ७५६ जोणीसंगह लेसा दिट्ठी (भग.) ५६ जोय पमत्तो पुरिसो तस्स (ओघ.) ७५३ झाणं मणोविसेसो (विशे.) ३०७० जो तिहि पएहिं धम्म (म.प.) ४२७ जो रागदोसरहिओ (सं.प.) ३७ झाणं सुभमसुभं वा (विशे.) १९३७ जो तिहि पएहि सम्म (आ.नि.)८७२ जो लक्खणं सुविण पउं- (उत्त.) ७२५ झाणजोगं समाहट्ट, (सूत्र.) ४३६ जो तुमे नियमो चिण्णो, (सूत्र.) १९९ जो लोए बंभणो वुत्तो, (उत्त.) ९४८ झाणविसेसो लेसा सम्मत्तं (म.प.) ८२ जो तुलसाहणाणं (विशे.) १६१३ जो वच्चंतम्मि विही (ओघ.) ६५३ झाणाण परमसुक्कं (सं.प.) १० जो तेसु धम्मसद्दो सो (दश.) ९५ जो वा दव्वत्थमसं० (विशे.) २८४५ जोधाण य उप्पत्ती आवर- (स्था.) ११९ जो वा देहिंदियजं (विशे.) २०१२ जो नवि वट्टइ रागे (विशे.) २६९१ जो वा निक्खमिउमणो (विशे.) २६८८ जो न सज्जइ आगंतुं, (उत्त.) ९४९ जो वाससयं जीवइ, सुही (त.प.) ४५ जो नारगाइभावो (विशे.) २०७७ जोव्वणं रूवसंपत्ति (इसि.) २४८ ठ जो निच्चसिद्धजत्तो (आ.नि.)९३६ जो संखिज्जभवट्ठिइ सव्वंपि (सं.प.) ४७ जो निच्छएण गिण्हइ (म.प.) ४४० जो संजओ पमत्तो (दश.) २११ ठवणकुल संखडीए अण- (ओघ.) १३ जो परिभवइ परं जणं, (सूत्र.) ११२ जो सन्निवाइओ खलु (उ.नि.) ५१ ठवणकुलाणि न साहे (ओघ.) भा.७२ जो पल्लेऽतिमहल्ले (विशे.) १२०५ जो सन्निवाइओ खलु (उ.नि.) ५३ ठवणाए उद्देसो ठवणा (विशे.) १४९१ जो पव्वयं सिरसा भित्तु- (द.वै.) ४०६ जो समो सव्वभूएसु (अनु.) १२८ ठवणाए जोऽणुओ० (विशे.) १३९० जो पावगं जलिअमवक्क- (द.वै.) ४०४ जो समो सव्वभूएसु, (आ.नि.)७९८ ठवणाए निक्खेवो छक्को (द.नि.) ५३ जो पुढवि समारंभइ (आचा.) १०२ जो समो सव्वभूएसुं (विशे.) २६८० ठवणाकम्मं एक्कं दिटुंतो (दश.) ६६ जो पुण अणिदिउ० (विशे.) १८९५ जो सम्मं भूयाई पासइ (म.प.) ६२४ ठवणा मिलक्खुनेड्ड (ओघ.) ४४१ जो पुण अत्थं अवहरइ (भ.प.) १०३ जो सविसयवावारो (विशे.) २९९८ ठविए पायच्छित्ते गणिणा (भ.प.) २३ जो पुण दंसणमइलो (सं.प.) ३५ जो सव्वकम्मकुसलो जो (आ.नि.)९२९ ठाणं पमज्जिऊणं दोण्णि (आ.नि.)७०४ जो पुण दंसणसुद्धो (सं.प.) ३६ जो सव्वसिप्पकुसलो जो (आ.नि.)९३० ठाण दिसि पगासणया (ओघ.) ५५१ जो पुण पत्तब्भूओ करेइ (सं.प.) ३४ जो सहइ हु गामकंटए, (द.वै.) ४७१ ठाण दिसि पगासणया (ओघ.) ५६४ जो पुण पुव्वारद्धा (विशे.) २६८९ जो सहस्सं सहस्साणं, (उत्त.) २५२ ठाणनिसियणतुयट्टण (पि.नि.) १५ जो पुणं मूले जीवो सो (दश.) भा.५९ जो सहस्सं सहस्साणं, (उत्त.) २५६ । ठाणनिसीयतुयट्टणउच्चार- (ओघ.) ३४३ जो पुणरव्वयभावं (विशे.) २५४२ जो साइआरचरणो आउट्टि- (भ.प.) २७ ठाणनिसीयतुयट्टणउवग- (ओघ.) भा.१५१ जो पुण वीसामिज्जइ (पि.नि.) २९ जो सामण्णग्गाही (विशे.) ३९ ठाणाइ जत्थ चेए पुव्वं (ओघ.) भा.१७१ जो पुण हवेज्ज खमओ . (ओघ.) ५६५ जो सीसो सुत्तत्थं चंदण- (विशे.) १४३८ ठाणा वीरासणाईया, (उत्त.) ११०६ जो पुण हिंसाययणेसु (ओघ.) ५९ जो सुणइ सव्वओ (विशे.) ७८३ ठाणासइ बिंदूसु अ (आ.नि.)१३९२ जो पुव्वभाविया किर (म.प.) १७२ जो सुत्तपएण बहुं (विशे.) ८०० ठाणासति बिंदूसु गेण्हइ (ओघ.) ६६२ जो पुव्वरत्तावररत्तकाले, (द.वै.) ५११ जो सुत्तपयनासो (विशे.) ९६८ ठाणी विविहठाणाणि, (सूत्र.) ४२२ जो पुव्विं उद्दिवो आयारो (दश.) २४५ जो सुत्तमहिज्जंतो सुएण (उत्त.) १०६३ ठाणे अ इइ के वुत्ते ?, (उत्त.) ८९५ जो पुव्विं उद्दिवो आयारो (दश.) २९३ जो सुत्तमहिज्जन्तो सुएण (प्रज्ञा.) १२५ ठाणे उवगरणे या (ओघ.) २६४ जो भत्तपरिन्नाए उवक्कमो (आ.प.) ८ जो सो अद्धिनेमी बाविस- (उ.नि.) ४४७ ठाणे निसीयणे चेव, (उत्त.) ९२६ जो भिक्खू गुणरहिओ (दश.) ३५७ जो सो इत्तरियतवो, सो ___ (उत्त.) १०८९ ठाणे य दायए चेव, (ओघ.) ४६३ जो मागहओ पत्थो सवि- (ओघ.) ७१४ जो सो नमितित्थयरो (उ.नि.) २६८ ठिइअणुभावे बंधणनिकाय- (सू.नि.) १७ जो माहणो खत्तियजायए (सूत्र.) ५६६ जोहाण य उप्पत्ती आव- (जंबू.) ३६ ठिइकालं जह सेस० (विशे.) ३१०१ जोयणमद्धं तत्तो गाऊयं (दे.प.) ९० जो हुज्ज उ असमत्थो __(आ.नि.)१३६७ ठिइकालविसंवाओ (विशे.) ३१०७ जोयणसहस्स गाउय- (अनु.) १०१ जो हुज्ज उ असमत्थो (आ.नि.)१५२० ठिई उस्सासाहारे किं वा (भग.) २ जोयणसहस्स गाउय (प्रज्ञा.) २१६ जो हेउमयाणंतो आणाए (प्रज्ञा.) १२४ ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा (सूत्र.) ३७५ जोयणसहस्स छग्गा (प्रज्ञा.) २१५ जोहेसु णाए जह वीससेणे- (सूत्र.) ३७३ जोयणसहस्स छग्गाउ- (अनु.) १०२ जो होज्ज उ असमत्थो (ओघ.) ६३८ (विशे . ५७

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